ऐलोविरा औषधीय शक्ति से भरा हुआ है। जानकारी के अभाव में लोग इसका लाभ नहीं ले पाते हैं और इसे बेकार समझा लिया जाता है। ऐलोविरा मनुष्य और मवेशी के लिए सबसे बड़ा टॉनिक है। इसके सेवन मात्र से ही कई बीमारियों को जड़ से उखाड़ फेंका जा सकता है। इसका स्वाद नीम और करेला से कम तीखा नहीं है। कच्चा या भून कर भी इसका सेवन किया जाता है। इसका पौधा सालों भर हरा-भरा रहता है।
इसकी पत्तियां कंटीली और लम्बी-लम्बी होती हैं। कुछ जगहों पर यह भारी मात्रा में पाया जाता है, जबकि शहरी क्षेत्रों में गमले में इसका पौधा लगाया जाता है। बताया जाता है कि ऐलोविरा कई गुणों से भरा है। इसका सेवन करने से चेहरे की सुंदरता में अलौकिक निखार आता है और चेहरे पर उगी छाई को भी यह मिटाता है। सिर पर मालिश करने से बाल का झड़ना रुकता है और अदभुत चमक आती है।
सिर में जलन से भी यह बचाता है। ऐलोवि रा की ऊपरी परत को हटाकर इसके गुद्दे को उपयोग में लगाया जाता है। चेहरे या सिर में लगाकर इसे छोड़ देना पड़ता है, फिर 20 से 25 मिनट के अंदर ठंडे पानी से धोकर चेहरा या बाल को साफ किया जाता है। इसके अलावा इसके नित्य सेवन करने से भूख जागती है और गैस को समाप्त किया जाता है। किसी के जल जाने पर यह रामबाण सा काम आता है। बताया जाताहै कि मवेशियों के बीमार होने पर ऐलोविरा का ऐंटीबॉयोटिक के रूप में उपयोग किया जाता था। हालांकि यह भी धीरे-धीरे लुप्त होता जा रहा है।चित्र परिचय- 9ॠ1-ि14 एलोविरा का पौधा।