इन दिनों सड़क पर चलना खतरे से खाली नहीं है। पारथेनियम (गाजर घास) के पराग कण राह चलते लोगों पर हमला कर रहे हैं। धूल के माध्यम से चेहरे और शरीर पर चिपकते ही इनसे एलर्जी पैदा हो रही है, जो लोगों के लिए मुसीबत बनी हुई है।
सन् 1950 में अमेरिका से आयतित गेहूं के साथ मिला खरपतवार भारत के लिए जी का जंजाल बन गया है। इस खरपतवार का नाम पारथेनियम है, जिसे कांग्रेस घास या गाजर घास के नाम से भी जाना जाता है। कुछ लोग इस सफेद कटेटी के नाम से भी जानते हैं। यह जंगली पौधा भारत में अब बहुत बड़े भू-भाग पर कब्जा कर चुका है। इन दिनों यह पौधा खेत, खाली जमीन, सड़क किनारे, रेलवे लाइन, नहरों के किनारे आदि स्थानों पर भी बड़ी तादात में देखने को मिल रहा है। इस समय इस पौधे पर सफेद फूल लगे हुए हैं, जिनसे निकले परागकण हवा में फैलते हुए लोगों के शरीर पर चिपक रहे हैं।
चिकित्सकों का कहना है कि इनमें कैमीकल होते हैं, जोकि शरीर के संपर्क में आने पर एलर्जी करते हैं। यह बीमारी एबीसीडी एलर्जी यानि एअरबोर्न कांटेक्ट डर्मेटाइटिस कहलाती है। यह एलर्जी शरीर के खुले भागों जैसे पलकों के किनारे, चेहरे, गर्दन, हाथों-पैरों पर होती है। इस एलर्जी में त्वचा लाल हो जाती है और छोटे-छोटे दानें एवं फुंसियां निकल आती हैं।
गर्मियों एवं बरसात के मौसम में यह एलर्जी बढ़ जाती है,क्योकि इस मौसम में पौधे पर फूल खिलते हैं। एलर्जी एवं चर्म रोग विशेषज्ञ डा.अनिल अग्रवाल का कहना है कि धूप में बाहर निकलने पर यह एलर्जी बढ़ जाती है। जनपद में भी काफी मरीज इस एलर्जी के शिकार हैं। अनदेखी से यह एलर्जी बहुत भयानक रूप धारण कर रही है।