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ग्रेटर नोएडा मामला भूमि अधिग्रहण से जुड़ा नहीं

गौतमबुद्धनगर में भूमि अधिग्रहण सम्बन्धी कोई विवाद नहीं होने का दावा करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने रविवार को कहा कि ग्रेटर नोएडा के भट्टा पारसौल गांव में कल किसानों और पुलिस दल के बीच हुई हिंसक घटना...

ग्रेटर नोएडा मामला भूमि अधिग्रहण से जुड़ा नहीं
एजेंसीMon, 09 May 2011 01:50 AM
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गौतमबुद्धनगर में भूमि अधिग्रहण सम्बन्धी कोई विवाद नहीं होने का दावा करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने रविवार को कहा कि ग्रेटर नोएडा के भट्टा पारसौल गांव में कल किसानों और पुलिस दल के बीच हुई हिंसक घटना का भूमि अधिग्रहण सम्बन्धी किसी विवाद से कोई सम्बन्ध नहीं है।

प्रदेश के कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि यह प्रकरण किसी भी तरह के अधिग्रहण से सम्बन्धित नहीं है। उन्होंने कहा कि ग्रेटर नोएडा के भट्टा और पारसौल गांवों में करार नियमावली के तहत किसानों और प्रशासन की आपसी सहमति से जमीन का अधिग्रहण किया गया था। भट्टा में 178 हेक्टेयर जमीन ली गई थी जिसके एवज में किसानों ने 120 करोड़ का भुगतान भी लिया था। इसके अलावा पारसौल में 260 हेक्टेयर जमीन के एवज में किसानों ने 180 करोड़ रुपये स्वीकार किए थे।

सिंह ने कहा कि इस सम्बन्ध में प्रक्रिया मार्च 2009 में ही शुरू हो गई थी। आखिरी अधिसूचना अगस्त, 2009 में जारी हुई थी। यह प्रक्रिया जुलाई 2010 में समाप्त भी हो गई थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि इन गांवों में जमीन का अधिग्रहण किसी भी व्यक्ति या कम्पनी को लाभ पहुंचाने के लिए नहीं किया गया था।

सिंह ने मुख्यमंत्री मायावती के हवाले से कहा विरोधी पार्टियां भोले-भाले ग्रामीणों और किसानों को आंदोलित करने के लिए उन्हें उकसा रही हैं और अनर्गल बयानबाजी की जा रही है।

सिंह के मुताबिक मुख्यमंत्री का कहना है विरोधी पार्टियों को पहले तथ्यों की पूरी जानकारी कर लेनी चाहिए। उसके बाद ही इस तरह के कोई बयान देने चाहिए जिससे जनमानस में प्रतिक्रिया नहीं हो। जानमाल की हानि न हो। उन्होंने बताया कि ग्रामीणों को भड़काने वाले मनवीर सिंह तेवतिया पर सरकार ने पहले ही 50 हजार का इनाम घोषित किया है। इसके अलावा उसके सहयोगियों प्रेमवीर और नीरज मलिक पर 15-15 हजार तथा मनोज, गजे सिंह और किरनपाल पर 10-10 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है।

सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री का यह भी कहना है कि इन सभी पार्टियों को अपने शासनकाल में या अपने शासित प्रदेशों में भी इस प्रकार की घटनाओं पर ध्यान देना चाहिए। राज्य सरकार संविधान और प्रजातांतिक मूल्यों का सम्मान करती है। साथ ही वह अपेक्षा करती कि ऐसी घटनाओं का राजनीतिकरण नहीं हो।

सिंह ने बताया कि सरकार बनते ही मंत्रिमण्डल ने करार नियामावली के तहत ही अधिग्रहण की बात कही थी। गौतमबुद्धनगर में भी यही प्रक्रिया अपनाई गई थी। दोनों पक्षों की सहमति से जमीन ली गई थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि भट्टा पारसौल में कोई भी विवाद भूमि अधिग्रहण लेकर नहीं था। मनवीर तेवतिया जैसे कुछ तत्वों ने लोगों को भड़काया।

सिंह ने बताया कि करीब तीन दिन पहले रोडवेज के तीन कर्मचारी ट्रायल रन के लिए बस लेकर भट्टा पारसौल गांव में गई थी जहां अराजक तत्वों ने तीनों कर्मियों को बंधक बना लिया। जब उन्हें दो दिन तक मुक्त नहीं किया गया तो प्रशासन के पास उन्हें छुड़ाने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। इस क्रम में थोड़ा बल इस्तेमाल करना पड़ा।

कैबिनेट सचिव ने कहा कि इस घटना के दौरान शासन की ओर से बहुत संयम बरता गया। ताकि कोई अप्रिय घटना नहीं हो। सिंह ने कहा कि भट्टा पारसौल में हुई हिंसा के मामले में तेवतिया के अलावा गजे सिंह, किरन पाल, नीरज मलिक, प्रेमवीर, किरनपाल और मनोज को नामजद किया गया है। अब तक 22 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। तेवतिया की तलाश की जा रही है। उन्होंने दावा किया कि भट्टा पारसौल और आसपास के गांवों में स्थिति पूर्णतया सामान्य है।

आगरा के एतमादपुर क्षेत्र में आज किसानों द्वारा की गई हिंसा के बारे में सिंह ने कहा कि उस घटना का भी भूमि अधिग्रहण से कोई लेना-देना नहीं है। वह झगड़ा एक मंदिर के छज्जे को लेकर था।

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