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नए साल में ग्रीटिंग कार्ड से गांधीगिरी

‘लगे रहो मुन्नाभाई’ देखकर लोग गांधीगिरी के कांस्पेट से वाकिफ हो चुके हैं। लेकिन यदि अब तक आपने गांधीगिरी में हाथ आजमाइश नहीं की हो तो अब मौका मत चूकिए। स्कूल आपसे एडमिशन के लिए डोनेशन मांग रहा हो,...

 नए साल में ग्रीटिंग कार्ड से गांधीगिरी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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‘लगे रहो मुन्नाभाई’ देखकर लोग गांधीगिरी के कांस्पेट से वाकिफ हो चुके हैं। लेकिन यदि अब तक आपने गांधीगिरी में हाथ आजमाइश नहीं की हो तो अब मौका मत चूकिए। स्कूल आपसे एडमिशन के लिए डोनेशन मांग रहा हो, चैनलों की बेसिर-पैर की ब्रेक्रिंग न्यूज से आजिज हों या फिर आतंकवाद पर आप राजनीतिकों के रवैये से असंतुष्ट हों, अपनी बात गांधीगिरी से उन तक पहुंचा सकते हैं। इसके लिए कम कीमत पर लोगों को पर्सनलाइज्ड गांधीगिरी कार्ड उपलब्ध होंगे। गाधीगिरी के संदेश को आगे बढ़ाते हुए पापाम कंपनी ने अपनी वेबसाइट पापाम डॉट इन के जरिये आम जीवन से जुड़े 14 मुद्दों पर गांधीगिरी कार्ड श्रंखला तैयार की है। कोई भी व्यक्ित साइट को क्िलक करके अपने पसंद के विषय का कार्ड छांट सकता है। कार्ड में अपने पसंद का संदेश, प्राप्त करने वाले का नाम-पता तथा अपना नाम लिखकर उसे खरीदने का आर्डर दे सकता है। यदि आप अच्छा स्कैच और चित्र सुझा सकते हैं तो यह मौका भी मिलेगा। तीन दिन के भीतर मनपसंद गांधीगिरी का कार्ड कु रियर से घर पहुंच जाएगा। पोस्टकार्ड साइज के कार्ड की कीमत (कुरियर की फीस समेत) पये से शुरू होती है। साइज बढ़ने के साथ कीमत बढ़ जाती है। पापाम के सह संस्थापक मनीष पाठक के अनुसार फिलहाल यह सेवा इंटरनेट पर देश भर में शुरू की गई है। लेकिन अगले छह महीने के भीतर हम ऐसे फ्रेंचाइजी भी खोल देंगे जहां लोग जाकर आर्डर दे सकते हैं। फिर फोन से कार्ड बुकिंग शुरू करंगे। कंपनी अपने पोर्टल पर नेताओं, ब्यूरोक्रेट आदि का डाटाबेस भी तैयार करगी ताकि लोगों को उनका नाम-पता तलाशने में दिक्कत न हो। किसके लिए कितने कार्ड खरीदे गए इसका भी पोर्टल पर रिकार्ड रहेगा। कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी वीरन्द्र के. जेटली के अनुसार यह योजना लगे रहो मुन्नाभाई से प्रेरित है। इसका मकसद है राजनीतिकों, ब्यूरोक्रेट, कमर्शियल एस्टेब्लिशमेंट तथा किसी भी ऐसे व्यक्ित को गांधीगिरी तरीके से संदेश देना है जो अपने क्रियाकलापों से समाज के खिलाफ कार्य कर रहा है।

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