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स्टेनले का डब्बा, कहानी एक लंच-ब्रेक की

मई को ‘स्टेनले का डब्बा’ रिलीज हो रही है। यह फिल्म तुम्हारे लिए बनाई गई है। इसे अमोल गुप्ते ने लिखा और निर्देशित किया है। अमोल ने ही ‘तारे जमीन पर’ भी लिखी थी और वह उस फिल्म...

स्टेनले का डब्बा, कहानी एक लंच-ब्रेक की
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 04 May 2011 12:41 PM
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मई को ‘स्टेनले का डब्बा’ रिलीज हो रही है। यह फिल्म तुम्हारे लिए बनाई गई है। इसे अमोल गुप्ते ने लिखा और निर्देशित किया है। अमोल ने ही ‘तारे जमीन पर’ भी लिखी थी और वह उस फिल्म के क्रिएटिव डायरेक्टर भी थे। यह एक स्कूल की ही कहानी है। यहां पढ़ता है मनमौजी स्टेनले। अपनी हाजिरजवाबी से हर किसीको हैरान करने वाला यह बच्चा लंच-ब्रेक में पानी पीकर काम चलाता है। इंग्लिश की मैडम रोजी मिस उसकी कविताएं सुन कर खुश होती हैं तो उसके दोस्त उसके बनाए किस्से-कहानियां।

लेकिन इसी स्कूल में हिन्दी के टीचर वर्मा सर को आदत है लंच-ब्रेक में बच्चों के डब्बे चट कर जाने की। इसीलिए हर बच्चा उनसे बचता फिरता है। कैसे स्टेनले अपनी चतुराई और समझदारी से उनसे निबटता है, यही इसमें दिखाया गया है।

पाथरे नुमान इस फिल्म में स्टेनले का किरदार निभा रहा है। उसके अलावा दिव्या दत्ता, दिव्या जगदाले, राज जुत्शी, अमोल गुप्ते, आदित्य लखिया आदि इस फिल्म में काम कर रहे हैं। इस फिल्म के गीत अमोल गुप्ते ने लिखे हैं और म्यूजिक है  हितेश सोनी का।

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