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शादी करके परेशान हूं

मैं शादी के बाद बहुत खुश थी। लेकिन अब एक हफ्ते में ही टूट गयी हूं। मैं एक दफ्तर में काम करती हूं। शादी से पहले मैं सुबह सात बजे उठती थी। मां खाना व नाश्ता सब बना देती थीं और साढ़े सात बजे तक घर से...

शादी करके परेशान हूं
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 02 May 2011 11:45 AM
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मैं शादी के बाद बहुत खुश थी। लेकिन अब एक हफ्ते में ही टूट गयी हूं। मैं एक दफ्तर में काम करती हूं। शादी से पहले मैं सुबह सात बजे उठती थी। मां खाना व नाश्ता सब बना देती थीं और साढ़े सात बजे तक घर से निकल जाती थी। अब मुझे 5 बजे उठकर सारे घर का खाना बनाना और चार टिफन पैक करने होते हैं, जिसकी वजह से मुझे भाग-भाग कर तैयार होना पड़ता है। शाम को घर लौटकर फिर वही काम। मैं अब शादी करके पछता रही हूं। शादी तोड़ना चाहती हूं, लेकिन मां नहीं मानतीं।                           
- रचना, दिल्ली

औरतें पढ़-लिख गयी हैं। वह घर के बाहर काम अच्छा करती हैं, परन्तु घर का काम करना उन्होंने स्वयं नहीं छोड़ा। यदि इतना काम नहीं कर सकतीं तो काम पीछे क्यों नहीं छोड़ दिया। इसे घर की अन्य औरतें कर लेंगी। यदि पति हाथ नहीं बटाता, बैठकर टीवी देखता है और मां को भी कुछ नहीं कहता तो आपको ही कुछ करना पड़ेगा। खुशी तो आपके हाथ में है। औरतें चाहती हैं कि वे बच्ची बनी रहें और ससुराल वाले मम्मी-डैडी बन कर आपका उतना ही ध्यान करें, जैसे आपकी अपनी मां करती थीं। यदि यह मुमकिन हो तो लोग मां को याद करना ही छोड़ दें। आप बड़ी हो गयी हैं, खुशी को स्वयं प्राप्त कीजिए।

मैं 35 वर्ष का हूं। बीए सेकेंड ईयर से ही बहुत सिगरेट पीता हूं। नौकरी करने के बाद शराब का आदी भी हो गया हूं। मेरी मां और मेरी बेटी मुझे बहुत समझाते हैं, तब मुझे बहुत गुस्सा आता है। अब मेरा बेटा 12वीं में आ गया है। मुझे पता चला है कि वह भी सिगरेट पीने लगा है। मैं क्या करूं?                
- श्रीधर,नोएडा

जब अपनी औलाद की बात होती है, तब फिक्र शुरू होती है कि क्या करना चाहिए? इससे पहले यदि कोई समझदार विशेष तौर पर मां समझाए तो बहुत बुरा लगता है। आपको किसी मनोवैज्ञानिक से मिलना चाहिए। वह काउंसिलिंग द्वारा मदद करेगा और धीरे-धीरे शराब और सिगरेट छूटती चली जाएगी।

मेरे ताऊजी जब कोई नयी चीज खरीदते हैं तो मुझे बहुत बुरा लगता है। मैं एक दो बार टीवी भी तोड़ चुका हूं। जो बात पापा को अच्छी नहीं लगती, उसमें से एक तो मैं जरूर करता हूं ताकि उन्हें बुरा लगे। उन्हें समझ में आए कि वे पिता कहलाने के भी लायक नहीं हैं। मेरे ताऊजी के बच्चों को सब कुछ मिलता है, किन्तु हमें कह दिया जाता है कि पैसे नहीं हैं या अभी तुम बहुत छोटे हो। मेरे पापा और ताऊजी का एक साथ बिजनेस है। फिर उनके पास पैसे और हमारे पास नहीं, ऐसा क्यों है?      कपिल, दिल्ली

ईर्ष्या करना आपकी शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए अच्छा नहीं है। इतनी हीनता की भावना आपके अंदर कहां से आती है? क्या आप पढ़ाई में ठीक हैं? क्या आप अपने किसी टेलेंट को बढ़ावा दे रहे हैं? यदि आप अपने किसी टेलेंट को बढ़ावा देते हैं तो अन्दर खुशी मिलती है। आज कोई पड़ोसी भी नयी गाड़ी लेगा तो आपको जलन नहीं होगी, क्योंकि आप संतुष्ट और खुश हैं। अपने अन्दर झांक कर देखें कि आप में कितनी प्रतिभाएं भरी पड़ी हैं, परन्तु आप सारा समय कुढ़ने में ही बेकार कर रहे हैं।

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