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लोकपाल समिति की दूसरी बैठक कल

प्रभावशाली लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए गठित संयुक्त समिति की दूसरी बैठक सोमवार को होगी, लेकिन इस अहम बैठक से पहले सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच न्यायपालिका के मुद्दे पर कोई ठोस आम सहमति...

लोकपाल समिति की दूसरी बैठक कल
एजेंसीSun, 01 May 2011 12:03 PM
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प्रभावशाली लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए गठित संयुक्त समिति की दूसरी बैठक सोमवार को होगी, लेकिन इस अहम बैठक से पहले सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच न्यायपालिका के मुद्दे पर कोई ठोस आम सहमति बनती नजर नहीं आ रही है।

मसौदा समिति की सोमवार को होने वाली दूसरी बैठक में संसद की एक स्थायी समिति को 10 वर्ष पहले भेजे गये विधेयक और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा पिछली बैठक में पेश जन लोकपाल विधेयक के मसौदे पर सविस्तार चर्चा हो सकती है।
हालांकि, इस बैठक से पहले लोकपाल के दायरे में न्यायपालिका को शामिल किये जाने को लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं में कोई ठोस आम सहमति नहीं बनी है।

आम सहमति नहीं होने के पिछले दिनों तब संकेत मिले जब डॉ. जयप्रकाश नारायण की अगुवाई वाले संगठन लोकसत्ता द्वारा आयोजित लोकपाल मसौदा विधेयक पर जनसुनवाई करायी गयी। जनसुनवाई में न्यायमूर्ति जेएस वर्मा और न्यायमूर्ति एम वेंकटचलैया जैसे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व प्रधान न्यायाधीशों ने कहा कि प्रस्तावित मसौदा विधेयक के दायरे से उच्च न्यायपालिका को बाहर रखा जाना चाहिए। बहरहाल, प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने के मुद्दे पर सामाजिक कार्यकर्ताओं में कुछ-कुछ आम सहमति बनती नजर आयी।

इंडिया अगेन्स्ट करप्शन की प्रवक्ता ने कहा कि समिति में समाज की ओर से शामिल सदस्यों का रुख यही है कि न्यायपालिका और प्रधानमंत्री को भी लोकपाल के दायरे में रखा जाए। इस मुद्दे पर भी बैठक में चर्चा हो सकती है। मसौदा समिति ही इस संबंध में अंतिम फैसला करेगी।


संगठन की प्रवक्ता मुरलीधरन ने कहा कि दूसरी बैठक में सदस्यों के बीच जन लोकपाल विधेयक के नये मसौदे पर चर्चा होगी। इस मसौदे को पिछली बैठक में केंद्र के मंत्रियों के समक्ष रखा गया था। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता में समिति में शामिल सरकार के प्रतिनिधियों द्वारा वर्ष 2001 में संसद की स्थायी समिति के पास भेजे गये लोकपाल विधेयक को इस बैठक में चर्चा के लिये रखे जाने की संभावना है क्योंकि पिछली बैठक में सरकार ने इस तरह के संकेत दिये थे।

वहीं, समाज की ओर से शामिल सदस्य अपने जन लोकपाल विधेयक के मसौदे पर चर्चा कराने पर जोर देंगे, जिसमें लोकपाल की चयन प्रक्रिया से जुड़े अहम बदलाव किये गये हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस विधेयक के मसौदे में बदलाव करते हुए लोकपाल के 11 सदस्यों की चयन समिति में राज्यसभा के सभापति और लोकसभा अध्यक्ष को शामिल करने के बजाय प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता को शामिल करने का प्रस्ताव रखा है।

लोकपाल मसौदा समिति की पहली बैठक 16 अप्रैल को हुई थी। इसमें समाज की ओर से शामिल पांच सदस्यों हजारे, शांति भूषण, कर्नाटक के लोकायुक्त संतोष हेगड़े, अधिवक्ता प्रशांत भूषण और आरटीआई कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने उनके द्वारा तैयार जन लोकपाल विधेयक मसौदे को आधार मसौदा मानने पर जोर दिया।

मसौदा समिति में सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर मुखर्जी (अध्यक्ष) सहित गृह मंत्री पी चिदंबरम, विधि मंत्री वीरप्पा मोइली (संयोजक), मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल और जल संसाधन मंत्री सलमान खुर्शीद भी शामिल हैं।
 पहली बैठक से ठीक पहले एक सीडी के सामने आने पर विवाद निर्मित हो गया था। इस सीडी में शांति भूषण की सपा प्रमुख मुलायम सिंह और अमर सिंह से कथित तौर पर हुई बातचीत की रिकॉर्डिन्ग थी।

भूषण पर इलाहाबाद में एक मकान खरीदने पर कम स्टाम्प ड्यूटी देने और उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार द्वारा उन्हें कम कीमतों पर नोएडा में दो फार्महाउस आवंटित किए जाने को लेकर भी विवाद पैदा हुए। विवादों के चलते कर्नाटक के लोकायुक्त न्यायमूर्ति हेगड़े ने समिति से हटने का मन बनाया, लेकिन हजारे और बाकी सदस्यों ने उन्हें समिति में बने रहने के लिये राजी कर लिया।

समिति में समाज की ओर से शामिल पांचों सदस्यों की पिछले सप्ताह हुई बैठक के बाद आरटीआई कार्यकर्ता केजरीवाल ने कहा कि हमारा एकमात्र मकसद एक स्वतंत्र और प्रभावी लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करना है और हम इसी पर ध्यान केंद्रित किये हुए हैं।

पहली बैठक में दोनों पक्षों के बीच इस बात पर सहमति बनी थी कि एक प्रभावशाली मसौदा विधेयक 30 जून से पहले तैयार कर लिया जाए, ताकि उसे संसद के मॉनसून सत्र में पेश किया जा सके। दोनों पक्ष दो मई को होने वाली बैठक में आगे की रूपरेखा तय करने और दो मई के बाद जरूरत पड़ने की स्थिति में सप्ताह में एक या दो बैठकें करने पर भी राजी हुए।

इस बैठक से पहले हजारे पक्ष समिति की कार्रवाई की वीडियो रिकॉर्डिन्ग कराने की मांग पर अड़ा था, लेकिन बाद में ऑडियो रिकॉर्डिन्ग कराने पर आम सहमति बनी। पांच दिन अनशन कर अपने आंदोलन के लिये जनसमर्थन जुटाने वाले गांधीवादी विचारक अन्ना हजारे की मांगों को मानते हुए सरकार ने संयुक्त समिति के गठन के लिये नौ अप्रैल को अधिसूचना जारी की थी।

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