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हिन्दुस्तान के हीरो ‘हिन्दुस्तान’ द्वारा शुरू की गई प्रतियोगिताओं में मुझे भाग लेने का मौका मिला तथा हिन्दुस्तान के हीरो जसी प्रतियोगिता मुझे अति पसंद है। तैयारी पृष्ठ में उड़ान जसे कालम से मुझे...
हिन्दुस्तान के हीरो ‘हिन्दुस्तान’ द्वारा शुरू की गई प्रतियोगिताओं में मुझे भाग लेने का मौका मिला तथा हिन्दुस्तान के हीरो जसी प्रतियोगिता मुझे अति पसंद है। तैयारी पृष्ठ में उड़ान जसे कालम से मुझे लक्ष्य प्राप्त करने, समय का सदुपयोग करने, दृढ़ निश्चयी होने के कारण जीवन के क्षेत्र में सफलता के मूलमंत्र प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। निस्संदेह मैं हिन्दुस्तान द्वारा आयोजित किसी प्रतियोगिता में इनाम नहीं पा सका मगर तैयारी पृष्ठ के उड़ान कालम की वजह से अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त करूंगा। धीर सिंह, कोटला, नई दिल्ली फिसलती जुबान आज जब सारा देश मुंबई हमले के दोषियों के प्रति क्रुद्ध है और मुंबई शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है, ऐसे में कुछ नेता सस्ती चर्चा के लिए अपनी जुबान से लडख़ड़ाए जा रहे हैं। पहले दिवंगत संदीप उन्नीकृष्णन पर केरल के मुख्यमंत्री अच्युतानंद का बयान और अब शहीद हेमंत करकर पर अंतुले का बयान, इसी बात की गवाही देता है। आज जब पूरा देश इस मसले पर एकाुट है कि जब तक संदीप व हेमंत जसे वीर यहां होंगे हमार जज्बे में कोई कमी नहीं आएगी, वहीं ये चंद नेता पता नहीं किस बात की चिढ़ निकाल रहे हैं। और तो और अब तो रलमंत्री तथा ‘विरोध की राजनीति’ करने वाले भी अंतुले के सुर में सुर मिला रहे हैं। लोकसभा चुनाव करीब हैं और अब ऐसा वक्त आ गया है कि भारत की जनता इनके भविष्य का सही निर्धारण कर। गोपाम्बुज सिंह, दिल्ली जरदारी समझना नहीं चाहते मुंबई आतंकी हमले में पकड़े गए आतंकवादी कसाब का संबंध पाकिस्तान की सरामीं से ही है। इसके पुख्ता सबूत भारत के पास मौजूद हैं। ‘ठोस सबूत’ की रट लगाने वाले पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की बयानबाजी निंदनीय ही नहीं हास्यास्पद है। खुद पाकिस्तानी न्यूज चैनल ने भी इस बात की पुष्टि की कि कसाब पाकिस्तानी है। जरदारी के बयान से एक बात तो स्पष्ट हो गई कि वे नाटक कर रहे है। अनूप आकश वर्मा, जामिया, दिल्ली नए विकल्प की ओर लड़कियां आज लोग कृषि कार्यो को छोड़ते जा रहे हैं और नौकरियों या ह्वाइट कालर जॉब की ओर लगातार भाग रहे हैं। लेकिन इस समय सबसे महत्वपूर्ण बदलाव है महिलाओं की कृषि में कम रुचि होना। महिलाएं कृषि की रीढ़ हैं, लेकिन आज नया ट्रेंड देखने में आ रहा है कि नई पीढ़ी की लड़कियां भी कृषि की बजाए दूसर विकल्पों की ओर ज्यादा आकर्षित हो रही हैं। इसके परिणाम आने वाले 20 वर्षों में और भी साफ-साफ दिखने लगेंगे। तब बंजर खेतों की संख्या और भी बढ़ जाएगी। लड़कियां पढ़ रही हैं और दूसर विकल्पों की ओर बढ़ रही हैं, बहुत अच्छी बात है। हमें आने वाले वर्षो में अपने भूमि संसाधन के उपयोग को लेकर अभी से सोचना होगा। सन्तोष डिमरी, गढ़वालं