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केंद्र ने डीडीए से मांगी फ्लैट आवंटन की रिपोर्ट

शहरी विकास मंत्रालय ने फ्लैटों के आवंटन को लेकर डीडीए से रिपोर्ट मंगवाई है। अगर इस रिपोर्ट पर मंत्रालय संतुष्ट नहीं हुआ तो आवंटन प्रक्रिया की जांच कराई जाएगी। यह जानकारी शहरी विकास राज्यमंत्री अजय...

 केंद्र ने डीडीए से मांगी फ्लैट आवंटन की रिपोर्ट
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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शहरी विकास मंत्रालय ने फ्लैटों के आवंटन को लेकर डीडीए से रिपोर्ट मंगवाई है। अगर इस रिपोर्ट पर मंत्रालय संतुष्ट नहीं हुआ तो आवंटन प्रक्रिया की जांच कराई जाएगी। यह जानकारी शहरी विकास राज्यमंत्री अजय माकन ने आज यहां हिन्दुस्तान को दी। माकन ने साफ कहा कि फ्लैट आवंटन में घोटाले की आशंका प्रकट किए जाने से संबंधित सूचनाओं को मंत्रालय ने गंभीरता से लिया है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री जयपाल रड्डी ने भी हैदराबाद में मीडिया से कहा कि अगर डीडीए के आवंटन में घोटाला पाया गया तो फ्लैटों के आवंटन रद्द कर दिए जाएंगे। हालांकि डीडीए ने इस योजना को लेकर उठाए जा रहे सवालों के जवाब देने की पूरी तैयारी कर ली है लेकिन संदेह के बादल छंट नहीं रहे। इसका कारण है भी। डीडीए की आवासीय योजना, 2008 में जिन्हें फ्लैट्स मिले हैं, उनमें से कुछ के हवाले से कहा जा रहा है कि उन्होंने आवेदन तो नहीं ही किया है, उन्हें पता भी नहीं है कि उनके नाम से आवेदन किया गया। जिनके नाम सूची में हैं, उनमें से कई के मोबाइल नंबर समान हैं जबकि वे अलग-अलग इलाकों में रहते हैं और एक-दूसरे को जानते तक नहीं हैं। इंडियन जस्टिस पार्टी के अध्यक्ष डॉ. उदित राज का दावा है कि इस तरह के घोटाले की आशंका वे पहले से ही जता रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि अगस्त-सितंबर में ही कुछ लोगों ने उन्हें सूचना दी थी कि विशेष रूप से अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में बड़े प्रॉपर्टी डीलरों, डीडीए अधिकारियों और बैंक एजेंटों ने बड़े पैमाने पर फर्ाी आवेदन किए हैं। इसके लिए फर्ाी पैन कार्ड बनवाए गए, पांच-पांच हाार रु. जमा कर बैंक एजेंट से लोन प्रोसेसिंग कराए गए और डेढ़ लाख रु. आवेदन शुल्क के लिए लोन ले लिए गए। उन्होंने दावा किया कि राजस्थान के एसटी समुदाय के कई लोगों ने उन्हें बताया है कि जब उन्होंने आवेदन ही नहीं किया है, तो उनके नाम से आवंटन कैसे हो गया। हिन्दुस्तान की जांच में भी एक दिलचस्प बात सामने आई। जिनके नाम फ्लैट्स आवंटित हुए हैं, उनमें राजस्थान के उदयपुर जिले की वल्लभनगर तहसील के मोदी गांव के जमना शंकर और वल्लभनगर के भिंडर गांव के कालू के फॉर्म पर एक ही मोबाइल नंबर- 022 है। इस पर संवाददाता ने शनिवार को बार-बार कॉल किया लेकिन यही संदेश आता रहा कि जिस नंबर पर आप संपर्क करना चाहते हैं, वह उपलब्ध नहीं है।

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