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धन लेकर सवाल मामले में त्वरित मुकदमे की अर्जी खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने धन लेकर सवाल पूछने के मामले में सोमवार को कांग्रेस सांसद राजा राम पाल और दस पूर्व सांसदों के खिलाफ कार्यवाही त्वरित गति से चलाने के लिए दायर की गई जनहित याचिका को खारिज कर दिया। यह...

धन लेकर सवाल मामले में त्वरित मुकदमे की अर्जी खारिज
एजेंसीMon, 25 Oct 2010 03:40 PM
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सुप्रीम कोर्ट ने धन लेकर सवाल पूछने के मामले में सोमवार को कांग्रेस सांसद राजा राम पाल और दस पूर्व सांसदों के खिलाफ कार्यवाही त्वरित गति से चलाने के लिए दायर की गई जनहित याचिका को खारिज कर दिया।

यह याचिका आलोक कुमार ने अपने वकील राकेश उपाध्याय के जरिए दायर की थी जिसे न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता वाली पीठ ने खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता ने कहा था कि प्राथमिकी संसद मार्ग थाने में 2006 में दर्ज हुई, लेकिन मामले में अब तक कोई प्रगति नहीं हुई है।

कुमार के अनुसार आरोपी पूर्व सांसदों के खिलाफ संबंधित निचली अदालत में आरोप पत्र दायर किया गया। हालांकि दस्तावेज में पाल का नाम नहीं था, क्योंकि वह पिछले आमचुनाव में उत्तर प्रदेश के अकबरपुर निर्वाचन क्षेत्र से पुन: निर्वाचित हो गए।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा महाराष्ट्र सरकार बनाम देवहारी देवासिंग पवार (2008) मामले में दी गई व्यवस्था का हवाला देते हुए कहा गया कि पाल के मामले में भी उन पर मुकदमा चलाने के लिए किसी मंजूरी की जरूरत नहीं है, क्योंकि संसद में सवाल उठाने के बदले कथित धन लेने के प्रकरण का सांसदों द्वारा आधिकारिक दायित्व छोड़े जाने से कोई संबंध नहीं है।

याचिका में याद दिलाया गया कि न्यायालय ने खुद 2007 में आरोपी सांसदों के निष्कासन को बरकरार रखते हुए व्यवस्था दी थी कि निर्वाचित प्रतिनिधि संसदीय विशेषाधिकरों के नाम पर कानून से ऊपर नहीं हैं। बारह दिसंबर 2005 को सांसदों का कथित खुलासा करने वाले स्टिंग ऑपरेशन दुर्योधन के चलते संसद ने आरोपी सदस्यों को निष्कासित कर दिया था।

पूर्व के लोकसभा चुनाव में बसपा सांसद रहे पाल 2009 के आमचुनाव में कांग्रेस के टिकट पर अकबरपुर से जीत गए और पुलिस को इस साल सितंबर तक सांसद के खिलाफ लोकसभा अध्यक्ष की कोई स्वीकृति नहीं मिल सकी। याचिका में शीर्ष अदालत से दिल्ली पुलिस को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने का आग्रह किया गया कि मामला त्वरित गति से चले और इसकी रोजाना सुनवाई हो।

इसमें आगे सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह स्पष्टीकरण जारी करने का भी आग्रह किया गया कि मामले में निष्कर्ष पर पहुंचने तक राजा राम पाल को उनके पूर्व के आचार विरुद्ध कार्य के लिए वर्तमान लोकसभा से निलंबित करने पर कोई रोक नहीं है।

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