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राजहारा माइंस में घुसा पानी, करोड़ों की मशीन डूबी

सीसीएल की एशिया की प्रसिद्ध राजहारा कोल माइंस में शुक्रवार की रात करीब 8:30 बजे अचानक पानी भर गया। इससे करोड़ों मूल्य की एक शावेल मशीन, एक डोजर, दो मोटर (70 और 100 एचपी) डूब गई है। घटना के वक्त...

राजहारा माइंस में घुसा पानी, करोड़ों की मशीन डूबी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 23 Oct 2010 09:15 PM
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सीसीएल की एशिया की प्रसिद्ध राजहारा कोल माइंस में शुक्रवार की रात करीब 8:30 बजे अचानक पानी भर गया। इससे करोड़ों मूल्य की एक शावेल मशीन, एक डोजर, दो मोटर (70 और 100 एचपी) डूब गई है। घटना के वक्त कोलियरी के अधिकारी और कर्मचारी ओवर बर्डेन हटाने के काम जुटे थे।

इसी क्रम में हुए बड़े हॉल से पूर्व में खनित अंडरग्राउंड माइंस से तेजी से पानी भरने लगा। माइंस में पानी भरता देख पहले तो अधिकारियों ने डोजर से धक्का देकर शावेल मशीन को माईंस से बाहर निकालने का प्रयास किया, परंतु सफलता नहीं मिल सकी। कर्मचारी मशीन छोड़कर बाहर आ गए।

शनिवार को भी माइंस में पानी का जमाव जारी था। शनिवार की सुबह तक शावेल मशीन का आधा से अधिक भाग डूब चुका था, जबकि डोजर, मोटर आदि डूब गए थे। करीब चार वर्ष पूर्व भी राजहारा माइंस के क्वारी नंबर दो में भी पानी भर गया था। ऐसा सदाबह नदी की धार का माइंस की ओर मुड़ जाने से हुआ था। प्रबंधन ने तब दूसरी क्वारी पुन: नदी के बगल में ही बनाकर कोयले का उत्पादन शुरू किया था।

भारतीय मजदूर संघ के राजहारा कोलियरी उपाध्यक्ष अनिल मिश्र ने इस घटना के लिए सीसीएल प्रबंधन को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा के प्रति लापरवाही, सर्वेयर के निर्देशों का उल्लंघन और सर्वेयर द्वारा ऑफ घोषित मशीन का उपयोग किये जाने के कारण छह करोड़ की परिसंपत्ति से सीसीएल प्रबंधन को हाथ धोना पड़ा।

वहीं झाविमो जिलाध्यक्ष अविनाश भुईया और प्रभात भुईंया भी सूचना मिलने के बाद माईंस का जायजा लिया। नेता द्वय ने कहा कि सीसीएल प्रबंधन कोलियरी को बंद करने का साजिश में जुटा है। घटना इसी की देन है। मजदूर हित की अनदेखी करते हुए पदाधिकारी और मजदूर यूनियन के नेता कोलियरी को बंद कराने के प्रयास में जुटे हैं।

उन्होंने मामले की जांच कराकर दोषी पदाधिकारियों पर कार्यवाई करने और कोलियरी को बंद होने से बचाने की पहल करने की अपील की है। नेताओ ने कहा कि अगर पानी को नहीं रोका गया तो पूरा राजहारा माईंस एरिया ही पानी में डूब जायगा।

राजहारा कोलियरी के प्रोजेक्ट ऑफिसर आरडी बर्मन ने दूरभाष पर कहा कि माइंस से उत्पादन जारी रहने की स्थिति में नुकसान काउंट होता। परंतु प्रोजेक्ट के जिस क्वारी (नम्बर-1) में पानी भरा है, उसमें उत्पादन नहीं हो रहा था। इसलिए पानी भर जाने के बावजूद इसे सीसीएल को नुकसान के रूप में नहीं देखा जा सकता है।

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