एचइसी की उम्मीदों पर पानी फिरा
राज्य सरकार एचइसी का बिजली मद का डीपीएस का बकाया माफ नहीं करेगी। सरकार के इस कदम से एचइसी की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। एचइसी ने झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड का डीपीएस मद का 116.42 करोड़...
राज्य सरकार एचइसी का बिजली मद का डीपीएस का बकाया माफ नहीं करेगी। सरकार के इस कदम से एचइसी की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। एचइसी ने झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड का डीपीएस मद का 116.42 करोड़ रुपये का बकाया माफ करने का आग्रह किया था।
एचइसी ने झारखंड उच्च न्यायालय की व्यवस्था के आलोक में ऐसा दावा किया था। एचइसी ने 31 मार्च 2010 तक का विद्युत बोर्ड का डीपीएस बकाया माफ करने के लिए सरकार के पास पत्र लिखा था। राज्य सरकार ने एचइसी के इस मांग पर विधि विभाग से मंतब्य मांगा था।
विधि विभाग ने झारखंड हाईकोर्ट के आदेश का गहन अध्ययन के बाद अपना मंतब्य दिया कि एचइसी की यह मांग अनुमान्य नहीं है। विधि विभाग ने अपने परामर्श में लिखा है कि न तो न्यायालय के आदेश में इस बात का उल्लेख है और नहीं राज्य सरकार द्वारा न्यायालय को दिये गए हलफनामा में इसका जिक्र है।
झारखंड हाईकोर्ट के वाद संख्या 420 दिनांक 2.7.08 में दिये गये आदेश में राज्य सरकार को पांच शर्तों का अनुपालन करना था। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि केंद्र सरकार, राज्य सरकार और एचइसी द्वारा दायर हलफनामा के अनुसार विद्युत बोर्ड का डीपीएस बकाया सिर्फ 31 मई 2008 तक ही देना है।
इसी के आधार पर राज्य सरकार ने एचइसी का 116.42 करोड़ रुपये का डीपीएस मद में 31 मार्च 2010 तक का बकाया माफ करने का दावा खरिज कर दिया है। एचइसी को राज्य सरकार ने रिवाइवल पैकेज के तहत 31 जून 2006 तक बिजली बिल मद में जेएसइबी का 305.35 करोड़ मूल बकाया और डीपीएस मद का 31 अगस्त 2008 तक 547.05 करोड़ रुपया पहले ही माफ कर दिया है।
इस तरह राज्य सरकार एचइसी का 853.42 करोड़ रुपया सीधे माफ कर दिया है। साथ ही राज्य सरकार को एचइसी को 275.51 करोड़ रुपये नगद देना था। इसमें से 202.21 करोड़ रुपये एचइसी को उपलब्ध करा दिये गये है।
शेष 75.30 करोड़ के लिए सरकार ने एचइसी के समक्ष शर्त रखी थी कि जब वह अतिक्रमित जमीन मुक्त कराकर राज्य सरकार को सौंपेगी तब उसे यह राशि उपलब्ध करा दी जायेगी। जमीन खाली करा कर उपलब्ध कराने के लिए एचइसी प्रबंधन को उद्योग विभाग ने रिमांइडर दिया है।