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पीएम ने सुरक्षा के आधुनिकीकरण का समर्थन किया

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को देश के सुरक्षा सिद्धांतों में आधुनिकीकरण का समर्थन किया ताकि नए और गैर परंपरागत खतरों से निपटा जा सके। राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय की स्वर्ण जयंती के अवसर पर...

पीएम ने सुरक्षा के आधुनिकीकरण का समर्थन किया
एजेंसीFri, 22 Oct 2010 07:20 PM
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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को देश के सुरक्षा सिद्धांतों में आधुनिकीकरण का समर्थन किया ताकि नए और गैर परंपरागत खतरों से निपटा जा सके।

राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय की स्वर्ण जयंती के अवसर पर एक सेमिनार को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि नक्सलवाद और वामपंथी चरमपंथ देश की सुरक्षा के लिए सबसे बड़े खतरे हैं और देश अपने अधिकारों को चुनौती देने की अनुमति नहीं दे सकता और न ही देगा।

उन्होंने कहा कि हमें सरकार से इतर तत्वों और समूहों से उत्पन्न होने वाले खतरों के लिए तैयार रहना होगा। सरकार से इतर तत्वों की हरकतें बढ़ती जा रही हैं और वे हम जैसे खुले एवं लोकतांत्रिक समाज को निशाना बनाने के लिए बेहतरीन तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं।

मनमोहन ने पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा मुंबई में 26/11 के हमलों का जिक्र नहीं किया लेकिन अदन की खाड़ी में सोमालिया के तट पर समुद्री डकैतों की चर्चा की जो गैर सरकारी तत्वों और समूहों द्वारा खतरे का मामला है। पिछले दो दशकों से ज्यादा समय से भारत को आतंकवाद से पीड़ित होने का जिक्र करते हुए मनमोहन ने कहा कि आतंकवादी समूहों को समर्थन और शरण मिल रहा है और उनके पास संसाधनों की कमी नहीं है।

उन्होंने कहा कि हम सुनिश्चित करेंगे कि आतंकवाद से लड़ने की हमारी क्षमता आतंकवादियों से एक कदम आगे रहे। उन्हें हमारी क्षमता और उन्हें परास्त करने की हमारी प्रतिबद्धता पर संदेह नहीं होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि देशों के बीच विवादों का समाधान करने के लिए भारत ने हमेशा एकतरफा बल प्रयोग का विरोध किया है।

उन्होंने कहा कि हमने हमेशा शासन आधारित अंतरराष्ट्रीय कानून के लिए काम किया है चाहे वह सुरक्षा, व्यापार या जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में हो। हमने वैश्विक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए काम किया है। भारत वैश्विक और भेदभाव रहित परमाणु निरस्त्रीकरण और परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया के लिए काम करता रहा है। उन्होंने कहा कि हमने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन की लगातार वकालत की है।

उन्होंने कहा कि कठिन क्षेत्रीय और भौगोलिक वातावरण के बावजूद भारत की नीतियां जिम्मेदारी और धैर्य भावना पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि भारत का सैन्य खर्च दुनिया के औसत से नीचे है। साथ ही उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा जरूरतों के लिए सभी आवश्यक संसाधन मुहैया कराने में सरकार नहीं झिझकेगी।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार के मुद्दे पर मनमोहन ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों की वास्तविकता यह है कि शक्ति का समान विभाजन नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें अपने पैरों पर खड़ा होना होगा ताकि उन मूल्यों की रक्षा की जा सके जो हमें राष्ट्र की तरह परिभाषित करते हैं।

ऊर्जा सुरक्षा को एक और बड़ी चुनौती बताते हुए उन्होंने कहा कि देश को परमाणु ऊर्जा सहित सभी विकल्पों को खुला रखना चाहिए। मनमोहन ने कहा कि जब तक हम खनिज इंधन पर निर्भर हैं तब तक हमारे पास संचार के समुद्री रास्तों की सुरक्षा की क्षमता है। अंतरराष्ट्रीय तेल परिवहन जहाज काफी संख्या में हिन्द महासागर से गुजरते हैं और यह क्षेत्र हमारे महत्वपूर्ण हित का है।

तेल पर युद्ध की बात का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने चेताया कि दुर्लभ प्राकृतिक संसाधनों के गैर न्यायोचित और विषम दोहन से भविष्य में देशों और समुदायों के बीच काफी संघर्ष छिड़ सकता है। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था उच्च विकास पथ की ओर अग्रसर है।

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