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भविष्य की जरूरत यानी प्रॉविडेंट फंड (पीएफ)

नौकरीपेशा तबके के काफी बड़े हिस्से के लिए रिटायरमेंट के बाद सिर्फ प्रॉविडेंट फण्ड ही सहारा रह जाता है क्योंकि पेंशन का लाभ तो सिर्फ चुनिंदा नौकरियों में ही मिलता है। इसलिए पीएफ का महत्व खासा बढ़ जाता...

भविष्य की जरूरत यानी प्रॉविडेंट फंड (पीएफ)
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 20 Oct 2010 11:31 PM
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नौकरीपेशा तबके के काफी बड़े हिस्से के लिए रिटायरमेंट के बाद सिर्फ प्रॉविडेंट फण्ड ही सहारा रह जाता है क्योंकि पेंशन का लाभ तो सिर्फ चुनिंदा नौकरियों में ही मिलता है। इसलिए पीएफ का महत्व खासा बढ़ जाता है। जो लोग स्वरोजगार करते हैं या किसी बिजनेस से जुड़े हैं या कोई भी व्यक्ति जो भविष्य के लिए बचत करना चाहता है, उनके लिए भी पीएफ जैसी सुविधा सरकार ने बना रखी है। प्रॉविडेंट फंड तीन तरह के होते हैं: ईपीएफ यानी इम्पलाई प्रॉविडेंट फंड, पीपीएफ यानी पब्लिक प्रॉविडेंट फंड और जीपीएफ यानी जनरल प्रॉविडेंट फंड।

ईपीएफ (इम्प्लाई प्रॉविडेंट फंड)
संसद ने 1952 में कर्मचारी भविष्य निधि एक्ट पारित किया। इसका उद्देश्य कर्मचारियों की हितों की रक्षा करना था जिससे वे अपनी भविष्य की जरूरतों को पूरा कर सकें। कर्मचारी भविष्य निधि एक्ट 14 मार्च 1952 से जम्मू एवं कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू है। प्रत्येक कर्मचारी चाहे वह किसी फैक्ट्री (जिसमें कम से कम 20 लोग काम करतें हों) या किसी ठेकेदार के माध्यम से नौकरी कर रहे हैं। जिस दिन से कर्मचारी ज्वाइन करता है वह इसमें शामिल होने का अधिकारी हो जाता है। सिनेमा और थियेटर से जुड़ी कंपनी में यह 5 लोगों या इससे अधिक पर ही लागू होता है। जिसकी उम्र 58 साल हो गई है वह इस उम्र में ईपीएफ में अंशदान के लिए पात्र नहीं होगा। ईपीएफ पर सभी प्रशासनिक खर्च सरकार वहन करती है

कितना कटता है अंशदान
अंशदान (कंट्रीब्यूशन) मूल वेतन, महंगाई भत्ता, अनाज रियायत की नगद कीमत का कम से कम 12 प्रतिशत होना चाहिए। हालाँकि ईंट, बीड़ी जूट फैक्ट्री, स्पिनिंग फैक्ट्री में 10 प्रतिशत अंशदान कटता है। जितना हिस्सा कर्मचारी देता है उतना ही हिस्सा नियोक्ता भी देता है। अगर नियोक्ता अपना हिस्सा जमा करने में देर करता है तो उसे कर्मचारी भविष्य निधि संगठन को 17 से 37 प्रतिशत सालाना ब्याज चुकाना पड़ता है।

ब्याज और आयकर छूट
ईपीएफ में जमा होने वाला पैसा आयकर की धारा 80 सी के तहत आयकर मुक्त है। अगर आप लगातार 5 साल ईपीएफ में अंशदान जमा करते तो फंड से पैसा निकालने पर टैक्स नहीं लगता है। इस दौरान आपने भले ही कई बार नौकरी बदली हो। 5 साल से पहले पैसा निकालने पर आयकर लगेगा। वित्तीय वर्ष 2006-07 से ईपीएफ में केन्द्रीय न्यासी बोर्ड ने 8.5 प्रतिशत ब्याज दरें तय की थीं तब से 8.5 प्रतिशत ब्याज मिल रहा था  लेकिन हाल ही में न्यासी  बोर्ड ने चालू वित्त वर्ष 2010-11 के लिए 9.50 प्रतिशत ब्याज देने का फैसला किया है।

फंड से पैसे निकालने के क्या हैं नियम:
- नौकरी के दौरान फंड से पैसा निकालना चाहते हैं तो इसके लिए फार्म नंबर 19 भरना होगा। यह फार्म आप ईपीएफओ की वेबसाइट (www.epfindia.com) से डाउनलोड कर सकते हैं या क्षेत्रीय कार्यालयों से भी फार्म ले सकते हैं।

-कर्मचारी की मुत्यु होने पर नामित/ पारिवार के सदस्य/ कानूनी उत्तराधिकारी फार्म 20 के माध्यम से पैसा निकाल सकते हैं। इसमें 2 माह से ज्यादा समय लगने पर संगठन को लिखित सूचना दें।

-55 साल की उम्र या रिटायर होने पर फार्म 19 भरकर पैसा निकाल सकते हैं।

-शारीरिक या मानसिक रूप से विकलांगता की स्थिति में भी फार्म 19 भर कर पैसा निकाल सकते हैं।

-छंटनी होने, इस्तीफा देने, नौकरी छोड़ने और भारत से विदेश में स्थायी रूप से बसने पर या विदेश में नौकरी मिलने पर पैसा निकाला जा सकता है।

-अगर आप मकान बनवाने के लिए जगह खरीदने जा रहें और ईपीएफ से पैसा निकालने की सोच रहें तो 24 महीने का वेतन (मूल वेतन और महँगाई भत्ता) के बराबर राशि निकाल सकते हैं। इसके लिए फंड में 5 साल तक लगातार अंशदान दिया होना चाहिए और खाते में कम से कम 1,000 रुपए होने चाहिए। इसी तरह फ्लैट खरीदने के लिए 36 महीने का वेतन (मूल वेतन और महँगाई भत्ता) के बराबर राशि ही निकाल पाएँगे। इन दोनों जरूरतों के लिए फार्म संख्या 31 भरना होगा। इसके अलावा, अगर मकान में विस्तार या रखरखाव के लिए पैसा चाहते हैं तो एक साल के मूल वेतन महंगाई व भत्ता के बराबर पैसा निकाल सकते हैं बशर्ते उस घर में 5 साल से रह रहे हों।

-अगर लोन अदा करने के लिए ईपीएफ से पैसा निकालना चाहते हैं तो आपको 36 महीने के मूल वेतन महँगाई भत्ता के बराबर राशि मिलेगी। ध्यान रहे कि आपने दस साल लगातार पीएफ कटवाया हो और लोन किसी सरकारी निकाय से ही लिया हो।

-इलाज के लिए भी पैसा निकाला जा सकता है। अगर अस्पताल में एक महीने से ज्यादा रहें हैं या कोई बड़ी सजर्री, कैंसर, टीवी, लकवा और ह्दय रोग जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए पैसा चाहिए तो 6 माह के वेतन के बराबर पैसा मिल सकता है। इसमें फार्म 31 भरना होगा।

-खुद की शादी, बहन की शादी, बेटे-बेटी के विवाह में अपने अंशदान का 50 प्रतिशत पैसा निकाल सकते हैं लेकिन कम से कम आपने 7 साल ईपीएफ में अंशदान जमा किया हो। इनके लिए फार्म 31 भरना होगा। इसके अलावा, बिजली का बिल जमा करने, प्राकृतिक आपदाओं में भी फंड से पैसा निकाला जा सकता है इसमें भी फार्म 31 भरना होगा।

इन पर दें ध्यान
-नियोक्ता से समय-समय पर जांच कराएं कि आपका पैसा पीएफ में कट रहा है और जमा हो रहा है कि नहीं।
-कर्मचारी भविष्य निधि संगठन का कोई एजेंट नहीं है इसलिए एजेंटों के चंगुल में न फंसे।
-गलत विवरण बिल्कुल भी न दें, किसी को नॉमिनेट भी जरूर करें।
-अगर आप नौकरी बदलते हैं तो पीएफ ट्रांसफर के लिए फार्म 13 भरकर अपना पीएफ ट्रांसफर कर सकते हैं। अगर राशि 2000 से ज्यादा है तो आपके बैंक खाते में पैसा ट्रांसफर कर दिया जाएगा। 
-अगर आप अंशदान की राशि बढ़ाने के इच्छुक हैं तो नियोक्ता के जरिए पीएफ कार्यालय को सूचित करें।
-अगर आपने किसी को नामित नहीं किया है तो परिवार के सभी सदस्यों को बराबर-बराबर राशि दी जाएगी। हालांकि आप जब चाहें अपना स्टेटस बदल सकते हैं। मसलन, अगर आप विवाहित हैं तो या आपके परिवार में कोई नया सदस्य जुड़ता है या आप किसी को गोद लेते हैं। नामित को बदलने के लिए फार्म नंबर 2 भरना होगा।

पीपीएफ (पब्लिक प्रॉविडेंट फंड)
केन्द्र ने 1968 में पीपीएफ की शुरुआत की थी। आयकर कानून के तहत इसमें निवेश करने से आयकर छूट भी मिलती है। इसमें निवेश करने के लिए आपको नौकरी में होना जरूरी नहीं है। अगर आप कंसल्टेंट, दुकानदार, फ्रीलांसर आदि हैं तो भी आप पीपीएफ अकाउंट खुला सकते हैं। अगर नाबालिग हैं तो भी पीपीएफ अकाउंट खुला सकते हैं। किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक और हेड पोस्ट ऑफिस में जाकर आप अकाउंट खुला सकते हैं। इसके अलावा, चुनिंदा पोस्ट ऑफिसों में भी पीपीएफ खाता खुलवा सकते हैं। एसबीआई और सहयोगी बैंकों के अलावा ज्यादातर राष्ट्रीयकृत बैंकों की वेबसाइट में फार्म डाउनलोड कर खाता खुलवा सकते हैं। इसके लिए एक फोटो और पैन कार्ड स्कैन करके अटैच करना होगा। अगर पैन कार्ड नहीं हैं तो राशन कार्ड, वोटर कार्ड, आई कार्ड या पासपोर्ट की स्कैन कॉपी भेजनी होगी। जब आप खाता खुलवाएंगे तो आपको बैंक पासबुक उपलब्ध कराएगा।

जीपीएफ (जनरल प्रॉविडेंट फंड)
सभी अस्थायी केन्द्रीय सरकारी कर्मचारी जिसने लगातार एक साल सेवा पूरी कर ली हो और स्थायी सरकारी कर्मचारी जीपीएफ में पैसा जमा कर सकता है। हर महीने इसमें पैसा जमा कर सकते हैं। फार्म भरने पर सर्विस बुक में यह नंबर चढ़ा दिया जाता है। इसमें वेतन (मूल वेतन, महंगाई भत्ता) का कम से कम 6 प्रतिशत से 100 प्रतिशत जमा कर सकते हैं। जीपीएफ पर सालाना 9.50 प्रतिशत सालाना चक्रवृद्धि ब्याज मिलता है। अगर ज्यादा पैसा जमा करना चाहते हैं तो साल में दो बार विकल्प है जबकि कम पैसा जमा करना चाहते हैं तो एक बार ही ऐसा कर सकते हैं।

ब्याज और आयकर छूट
पीपीएफ खाते पर 8 प्रतिशत सालाना चक्रवृद्धि ब्याज मिलता है। पीपीएफ खाते में जमा राशि पर भी आयकर छूट मिलती है। यह छूट धारा 80 सी के तहत मिलने वाली 1 लाख की छूट में समाहित कर दी जाएगी। पीपीएफ खाता परिपक्व होने पर पैसा निकालने पर किसी तरह का टैक्स नहीं लगता है।

परिपक्वता अवधि
पीपीएफ अकाउंट की परिपक्वता (मैच्योरिटी) अवधि 15 साल है। इसके अवधि के बाद आप पूरा पैसा एक साथ निकाल सकते हैं। इसके अलावा इस परिपक्वता अवधि को सिर्फ 5 साल बढ़ाया जा सकता है यानी 20 साल तक पीपीएफ खाते में पैसा जमा कर सकते हैं। इसके बाद नया खाता खुलवाना पड़ेगा। पीपीएफ में कम से कम 500 रुपए और अधिकतम 70 हजार सालाना ही जमा करने की छूट है। जरूरत पड़ने पर आप पीपीएफ खाते में जमा राशि के एवज में लोन भी ले सकते हैं।

कैसी होती है ब्याज की गणना
पीपीएफ अकाउंट में ब्याज की गणना प्रत्येक 31 मार्च से होती है। इसमें ब्याज न्यूनतम बैलेंस के आधार पर 5 मार्च से 31 मार्च जोड़ा जाता है। इसलिए आपको अपने अकाउंट से 5 मार्च से 31 मार्च के बीच पैसा नहीं निकालना चाहिए। मान लीजिए आपने वित्तीय वर्ष 2006-07 में खाता खुलवाया है तो यह 31 मार्च 2007 से 15 साल बाद यानी 1 अप्रैल 2022 में खाता परिपक्व होगा।

पैसा निकालने के नियम
पीपीएफ से पहले पाँच साल पैसा नहीं निकाला जा सकता है। छठे साल से आप पैसा निकाल सकते हैं। एक वित्तीय वर्ष में एक बार ही पैसा निकाला जा सकता है। दूसरी ओर अगर आपने पीपीएफ खाता 15 साल से ज्यादा के लिए किया गया है तो बढ़े अवधि से 60 प्रतिशत पैसा निकाल सकते हैं।

एक व्यक्ति एक खाता खुलवा सकता है
एक व्यक्ति के नाम से एक ही खाता खुलवा सकता हैं। अगर आपने गलती से दो खाते खुलवा ही लिए दूसरा खाता बंद कर दिया जाएगा। हाँ, दूसरे खाते पर जमा राशि पर ब्याज नहीं केवल मूलधन ही मिलेगा। आप एक या ज्यादा लोगों को नामित कर सकते हैं। खाताधारक की मृत्यु होने की स्थिति में खाता स्वत: बंद हो जाएगा नामित इसमें राशि जमा नहीं कर सकता है। आप अपने नाबालिग बच्चों के नाम से खाता खुला सकते हैं। अगर दो बच्चों हैं तो दोनों खातों में सालाना अधिकतम 70-70 हजार रुपए जमा कर सकते हैं। साल भर में आपको 12 बार पैसा जमा करना होगा एक साथ जमा नहीं होगा।

कितना अग्रिम मिल सकता है
तीन महीने का वेतन या जितना पैसा जमा है उसका आधा जो कम हो।

किसको नामित कर सकते हैं
इसमें आप अपने परिवार के सदस्यों को नामित कर सकते हैं। परिवार के सदस्यों में पत्नी, माता-पिता, बच्चों (गोद लिए गए) छोटे भाई, अविवाहित बहन को शामिल किया गया है।

पूरा पैसा कब निकाल सकते हैं
इस्तीफा देने, बर्खास्त होने, रिटायरमेंट होने और मृत्यु होने पर पूरा पैसा निकाला जा सकता है।

कब नहीं निकाल सकते हैं
निलंबन के दौरान आप जीपीएफ से पैसा नहीं निकाल सकते हैं।

कौन है ईपीएफ का संरक्षक
ईपीएफ का 5 प्रतिशत हिस्सा शेयर बाजार में लगाया गया है। इसके अलावा कारपोरेट बांड, सरकारी प्रतिभूतियों और दूसरे सुरक्षित निवेश साधनों में लगाया गया है। ईपीएफ की राशि को मैनेज करने, ब्याज दरें तय करने का अधिकार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के पास है। इसके लिए सेट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी का गठन किया गया। 

इसमें एक चेयरमैन और वाइस चेयरमैन, केन्द्र सरकार के 5 प्रतिनिधि,15 राज्य सरकारों के प्रतिनिधि, 10 नियोक्ताओं के प्रतिनिधि और 10 कर्मचारियों के प्रतिनिधि शामिल हैं। यह बोर्ड ही पैसे की देखभाल करता है। मौजूदा समय में 18 रीजनल कमेटी गठित की गई है जो समय-समय पर अपनी रिपोर्ट केन्द्रीय न्यासी बोर्ड को देती रहती हैं।

मौजूदा समय में केन्द्रीय श्रम मंत्री मल्लिकाजरुन खड़गे इसके चेयरमैन है। और हरीश रावत वाइस चेयरमैन हैं। भारतीय स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी, रिलायंस कैपिटल एएमसी और एचएसबीसी एएमसी समेत कई फंड मैनेजर भी संगठन से जुड़े होते हैं। बोर्ड ब्याज दर के बारे में अपनी सिफारिशें केन्द्रीय सरकार को देता है। सरकार ही ब्याज दरों पर अंतिम फैसला लेती है। केन्द्रीय ट्रस्टी बोर्ड की हर 3 महीने में एक बैठक होती है।

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