फोटो गैलरी

Hindi Newsशहर की सेहत बिगाड़ सकता है 1577 मीट्रिक टन कूडा

शहर की सेहत बिगाड़ सकता है 1577 मीट्रिक टन कूडा

शहर से निकलने वाला करीब 650 मीट्रिक टन कूडम डम्प करने में नगर निगम के छूट रहे पसीने को देखकर एनसीआर नियोजन सेल पसोपेश में है। उसका मानना है कि अगर वर्तमान जैसे हालात कायम रहे तो अगले 10 सालों में शहर...

शहर की सेहत बिगाड़ सकता है 1577 मीट्रिक टन कूडा
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 10 Oct 2010 11:07 PM
ऐप पर पढ़ें

शहर से निकलने वाला करीब 650 मीट्रिक टन कूडम डम्प करने में नगर निगम के छूट रहे पसीने को देखकर एनसीआर नियोजन सेल पसोपेश में है। उसका मानना है कि अगर वर्तमान जैसे हालात कायम रहे तो अगले 10 सालों में शहर में कूडम बढम्कर करीब 1577 मीट्रिक टन हो जाएगा, जिसे निबटाने के लिए भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है। इसी को ध्यान में रखकर एनसीआर नियोजन सेल ने एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसके मद्देनजर दस सालों में कूडम्े को निबटाने के लिए तीन हजार लाख रुपए की महायोजना बनाई गई है। इसे अमल में लाने के लिए दोनों विभागों में विचार मंथन चल रहा है।

एनसीआर नियोजन सेल की रिपोर्ट बताती है कि शहर में फिलहाल कूड़े डम्प करने की कोई योजना नहीं है। वर्ष 2003 में डूंडाहेडम में डम्पिंग ग्राउंड बनाने का खाका तैयार किया गया था। इसके लिए करीब सौ एकडम् जमीन चिह्न्ति की गई थी। रक्षा मंत्रालय ने करीब छह करोडम् रुपया भी जारी कर दिया था, लेकिन जीडीए ने यह जमीन कुछ बिल्डरों को टाउनशिप विकसित करने के लिए आवंटित कर दी। इसके बाद वहां डम्पिंग ग्राउंड बनाने का विरोध शुरू हो गया। हारकर जीडीए ने गालंद गांव में सौ एकडम् जमीन पर डम्पिंग ग्राउंड बनाने की योजना बनाई लेकिन अभी तक यह योजना किसानों के विरोध के कारण सिरे नहीं चढम् सकी। आलम यह है कि शहर से रोजाना निकलने वाला 650 मीट्रिक टन कूडम नगर निगम के जी का जंजाल बना हुआ है। न तो नगर निगम के पास पर्याप्त संसाधन हैं, न लैंड फिल और न ही कोई माकूल योजना।

बायोमेडिकल वेस्ट भी बना मुसीबत
एनसीआर नियोजन सेल की रिपोर्ट बताती है कि शहर के 1200 बेड वाले विभिन्न अस्पतालों से कुल 2.38 मीट्रिक टन बायोमेडिकल वेस्ट निकलता है। बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट एंड हैंडलिंग रूल्स 1998 के तहत बायोमेडिकल वेस्ट सृजित करने वाले संस्थान को इसका प्रबंधन करना होगा ताकि पर्यावरण को कोई क्षति न पहुंचे। लेकिन अफसोस अस्पतालों में इसके निस्तारण के कोई उपाय नहीं किये जा रहे। उनके पास न तो बायोमेडिकल वेस्ट ढुलान के लिए सक्षम अधिकारी से प्रमाणित वाहन हैं, न कंटेनराइज्ड थ्री व्हीलर, न उत्तम तकनीक, न इन हाउस ऑटोक्लेव व इंसीनेटर।

बॉक्स
वर्ष 2021 में सोलिड वेस्ट की स्थिति और लागत
शहर का नाम     कूड़े मीट्रिक टन में    लागत प्रति मी.टन  कुल
गाजियाबाद            1238                 2 लाख        2476
लोनी                   227                   2 लाख        455
मुरादनगर              83                     1.50         124.5
डासना                  28                      1.50         42
   कुल                1576.50                            3097.5

कितने संसाधन चाहियें
डम्पर- 57
ट्रैक्टर्स- 17
लोडर्स- 9
ट्रकों की क्षमता- 160 मी.टन

सुझाव
- घरों में दो रंगों के बैग पद्धति को अपनाया जाये। इसी हिसाब से कूडम छांटा जाये।
- एक रंग के थैले में विघटनीय तथा दूसरे में अविघटनीय कूडम रखा जाये।
- कूड़े की छंटनी ट्रांसफर स्टेशन पर मैनुअली की जाए।
- प्राथमिक कलक्शन हेतु डोर टू डोर कंटेनर रिक्शा थैलों को स्टोरेज साइट पर लाये।
- जहां से ट्रांसफर स्टेशन तक पहुंचाया जाये।
- वहां रंगों के आधार पर थैलों की छंटनी का कार्य कर कूड़े को निस्तारण स्थल तक लायें।
- स्टोरेज डिपो से ट्रांसफर स्टेशन तक ले जाने हेतु डम्पर, ट्रक्टर्स व लोडर्स और चाहियें।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें