फोटो गैलरी

Hindi Newsचलना तो आगे है

चलना तो आगे है

शाम को काम करते हुए उन्हें महसूस हुआ कि वह काम पर फोकस नहीं कर पा रहे हैं। बार-बार बोर्ड रूम की वह कड़वी याद उन्हें परेशान कर रही है। वह आज ही काम निपटा लेना चाहते थे, लेकिन.. ऑर्गेनाइजेशन एक्सपर्ट...

चलना तो आगे है
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 07 Oct 2010 11:26 PM
ऐप पर पढ़ें

शाम को काम करते हुए उन्हें महसूस हुआ कि वह काम पर फोकस नहीं कर पा रहे हैं। बार-बार बोर्ड रूम की वह कड़वी याद उन्हें परेशान कर रही है। वह आज ही काम निपटा लेना चाहते थे, लेकिन.. ऑर्गेनाइजेशन एक्सपर्ट मोनिका रिकी मानती हैं कि हमारे शरीर की संरचना ही ऐसी है कि हम आगे ही देखते हैं। पीछे मुड़ने के लिए हमें काफी मशक्कत करनी पड़ती है। ‘ऑर्गेनाइज योर ऑफिस इन नो टाइम’ की लेखिका कहती हैं कि हम चलते भी हैं, तो आगे ही चलते हैं। लेकिन जब हम सोचते हैं, तो पीछे का पहले सोचते हैं। और उस पीछे की वजह से हम अपना आनेवाला कल बर्बाद कर लेते हैं।

हम अपनी जिंदगी आज में ही जीते हैं। जिंदगी जीने का मतलब है काम करना। काम करने का मतलब है फैसले लेना। उन पर अमल करना। हम जो भी काम करते हैं, वह आज के पल में ही तो करते हैं। उसे हम बीते पलों में नहीं कर सकते। दिक्कत यह आती है कि हम काम तो आज के इसी पल में करते हैं, लेकिन सोच कहीं और मंडरा रही होती है। दरअसल, तन और मन दोनों एक लाइन पर होते हैं, तो जिंदगी बहने लगती है। दोनों दो अलग-अलग रास्ते पर चलते हैं, तो जिंदगी अटकने लगती है। इसीलिए जिंदगी में बहाव कायम रहे, उसके लिए तन और मन को एक लाइन पर लाना बहुत जरूरी होता है।
हम सबमें एक गजब विरोधाभास है। हम जिंदगी में आगे बढ़ना चाहते हैं और पीछे की ओर देखते रहते हैं। या कहना चाहिए कि पीछे से ही चिपके रहते हैं। पीछे मुड़ना कोई बुरी बात नहीं है, लेकिन उससे चिपके रहना सचमुच गलत है। अगर हम किसी चीज से चिपके ही रहेंगे, तो आगे कैसे बढ़ेंगे। आगे बढ़ने के लिए तो खुलापन बहुत जरूरी है। तो अपने को खोलिए और आगे बढ़ जाइए।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें