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कमर्शियल पायलट: ये आकाश का चैलेंज है

नागर-विमानन के क्षेत्र में हाल के वर्ष काफी उथल-पुथल भरे रहे हैं। इस क्षेत्र का जबर्दस्त विस्तार हुआ है। आंकड़े बता रहे हैं कि पिछले एक साल में इस सेक्टर में 22 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इसी...

कमर्शियल पायलट: ये आकाश का चैलेंज है
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 06 Oct 2010 03:51 PM
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नागर-विमानन के क्षेत्र में हाल के वर्ष काफी उथल-पुथल भरे रहे हैं। इस क्षेत्र का जबर्दस्त विस्तार हुआ है। आंकड़े बता रहे हैं कि पिछले एक साल में इस सेक्टर में 22 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इसी के चलते कमर्शियल पायँलटों की मांग भी तेजी से बढ़ी है। अगर आपने 12वीं साइंस विषय में पास की है तो आप इस चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में करियर बना सकते हैं।

कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (सीएजीआर) रिपोर्ट की मानें तो आने वाले कुछ वर्षो में भारतीय एविएशन इंडस्ट्री विश्व की पांचवीं सबसे विकसित एविएशन इंडस्ट्री में शुमार होने वाली है। इस समय भारत का स्थान 9वां है तथा इसकी सालाना 18 फीसदी की दर से ग्रोथ हो रही है। साथ ही इस इंडस्ट्री में रोजगार की व्यापक संभावनाएं भी पैर पसार रही हैं। डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) की रिपोर्ट के अनुसार 2009 से लेकर अब तक इस इंडस्ट्री में 22 फीसदी की वृद्धि हुई है।
एविएशन सेक्टर में कई ऐसे पद हैं, जिनके जरिए छात्र अपने सपनों को पंख लगा सकते हैं तथा खुले आसमान की सैर कर सकते हैं। इन्हीं में से एक महत्त्वपूर्ण पद कमर्शियल पायलट का है। इसमें युवाओं के लिए ग्लैमरस एवं चैलेंजिंग करियर है। इसके अंतर्गत एयर नेवीगेशन, मेट्रोलॉजिकल रिपोर्ट की व्याख्या, इलेक्ट्रॉनिक एवं मैकेनिकल नियंत्रण संबंधी ऑपरेशन, फ्लाइट क्रू के लिए लीडरशिप जैसा गुण तथा मौसम की खराबी एवं अन्य आकस्मिक परिस्थितियों में यात्रियों की सुरक्षा संबंधी उपाय आदि का ध्यान रखना पड़ता है। एक पायलट को न सिर्फ एयरक्राफ्ट के प्रति जिम्मेदारी निभानी पड़ती है, बल्कि उस पर सैकड़ों यात्रियों की सुरक्षा का उत्तरदायित्व भी होता है।

साइंस सहित 10+2 आवश्यक

कमर्शियल पायलट तभी बना जा सकता है, जब विज्ञान वर्ग सहित बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण हो। इसी के बाद छात्र पायलट लाइसेंस (एसपीएल) के लिए योग्य बनते हैं। एसपीएल सर्टिफिकेट से पूर्व छात्र को डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए), भारत सरकार के अंतर्गत आने वाले फ्लाइंग क्लब से रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। इसके लिए 16 वर्ष की उम्र सीमा का प्रावधान भी रखा गया है। रजिस्ट्रेशन से पूर्व छात्र को मौखिक परीक्षा से भी गुजरना पड़ता है। उसके बाद सर्टिफिकेट प्रदान कर दिया जाता है। एसपीएल के पश्चात छात्र को पीपीएल (प्राइवेट पायलट लाइसेंस) लेना आवश्यक है।

पीपीएल ट्रेनिंग के अंतर्गत साठ घंटे की उड़ान एवं इनमें से 15 घंटे की दोहरी उड़ान, जो किसी एक्सपर्ट के साथ, 30 घंटे की सोलो उड़ान तथा पांच घंटे की विदेशी उड़ान शामिल है। इस लाइसेंस के लिए स्टूडेंट को 10+2, उम्र 17 वर्ष तथा आम्र्ड फोस्र्ड मेडिकल इस्टेब्लिशमेंट (एएफसीएमई) से मेडिकल सर्टिफिकेट हासिल करना जरूरी है। पीपीएल के पश्चात कमर्शियल पायलट लाइसेंस के लिए अधिकृत हो जाते हैं।

परिश्रमी व अनुशासित बनना होगा

योग्यता के साथ-साथ इसमें छात्रों से कई तरह की अभिरुचि की भी दरकार होती है। कठिन परिश्रम, दिमागी रूप से अलर्ट, कठिन परिस्थितियों को भी चुनौती के रूप में लेना, अच्छा टीम लीडर, स्टेमिना से परिपूर्ण होना भी इस जॉब की डिमांड है। अनुशासन, धैर्य, उत्तरदायित्व, समय का महत्त्व पहचानने, खुद के साथ कमिटमेंट आदि गुणों का होना जरूरी है। एक पायलट के पास किसी भी प्रतिकूल समय में मानसिक संतुलन बनाए रखने की भी जरूरत है।

भारी मांग है प्रोफेशनल्स की

देश में इस समय 454 एयरपोर्ट एवं एयरस्ट्रिप मौजूद हैं तथा 16 और अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट स्थापित करने की योजना है। प्राइवेट कंपनियों में सीपीएल होल्डर्स की भारी मांग है। वे प्राइवेट के साथ-साथ सरकारी विमान कंपनियों (इंडियन एयरलाइंस, एयर इंडिया) में भी नौकरी पा सकते हैं, जबकि प्राइवेट कंपनियों में जेट एयरवेज का नाम प्रमुखता से शामिल है। बड़े कॉरपोरेट घराने भी निजी विमानों के लिए कमर्शियल पायलट की नियुक्ति करते हैं।

आगे तमाम अवसर मौजूद

सीपीएल के पश्चात कोई भी स्टूडेंट ट्रेनी पायलट के रूप में अपनी सेवा आरंभ कर सकता है। उसके पश्चात वरीयता के अनुसार पायलट अथवा फस्र्ट ऑफिसर बना जा सकता है। यह वरीयता उड़ान में घंटों की अधिकता तथा अनेक कार्यक्रमों में सफलतापूर्वक योगदान के बाद तय की जाती है। इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए कमांडर, कैप्टन अथवा सीनियर कमांडर बना जा सकता है।

सेलरी की रूपरेखा

कमर्शियल पायलट की सेलरी काफी आकर्षक है। पब्लिक सेक्टर में सेलरी उनके ग्रेड लेवल एवं पोजीशन के हिसाब से मिलती है। फिर भी यदि देखा जाए तो यह पैकेज आकर्षक होता है तथा उसमें इंसेंटिव भी अच्छा-खासा होता है। इसमें फंड, ग्रेज्युटी, मेडिकल फेसिलिटी, एयर पास की भी सुविधा मिलती है। जैसे-जैसे अनुभव एवं पोस्ट बढ़ती जाती है, ठीक वैसे ही सेलरी में भी इजाफा होता है। आमतौर पर एक कमर्शियल पायलट को 40,000 से लेकर 1,50,000 रुपए प्रतिमाह मिलते हैं।

प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकेडमी ऑफ राय बरेली, उत्तर प्रदेश।
वेबसाइट - www.igrua.gov.in

यूपी फ्लाइंग ट्रेनिंग इंस्टीटय़ूट, कानपुर, उत्तर प्रदेश।

राजस्थान स्टेट फ्लाइंग स्कूल, जयपुर, राजस्थान।

अमेरिकन फ्लायर्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड, गुड़गांव, हरियाणा।

अमृतसर एविएशन क्लब, अमृतसर, पंजाब।

आंध्र प्रदेश फ्लाइंग क्लब, हैदराबाद, आंध्र प्रदेश।

बॉम्बे फ्लाइंग क्लब, मुंबई।

बिहार फ्लाइंग इंस्टीटय़ूट, पटना, बिहार।

हरियाणा इंस्टीटय़ूट ऑफ सिविल एविएशन, हिसार, हरियाणा।

प्रजेंस ऑफ माइंड जरूरी
गीतांजलि कुमार, करियर काउंसलर, नई दिल्ली

यदि किसी छात्र को सफर एवं नई जगह घूमने का शौक है तो कमर्शियल पायलट उसके लिए अच्छा विकल्प हो सकता है। इसमें छात्रों को प्रजेंस ऑफ माइंड हर वक्त काम आती है। इसके दम पर वे बड़े खतरों को आसानी से टाल सकते हैं। अभी कुछ महीने पूर्व बेंग्लूरू का विमान हादसे में पायलट की लापरवाही ही मानी गई थी। इसमें जॉब के दौरान परिवार से दूर रहना पड़ता है और सेहत पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अनुशासित जीवन शैली में रहने के साथ पायलट को बार-बार मेडिकल परीक्षण से होकर गुजरना पड़ता है।

आजकल बैंक से तत्काल लोन भी मिल जाता है, जिससे धन की कमी भी छात्रों के सामने नहीं आती। देश में तेजी से फ्लाइंग क्लब खुल रहे हैं तथा विदेशों से भी पायलट यहां आ रहे हैं और यहां की एयरलाइंस कंपनियों में जॉब भी पा रहे हैं। इस प्रोफेशन की सबसे बड़ी खास बात यह है कि इसमें सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं हो सकता। रिस्क उठाना जरूरी है, पर यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि है।

पेरेंट्स से मिल रही है सपोर्ट
कैप्टन साहब गर्ग, (वाइस प्रेजिडेंट, ऑपरेशन) गर्ग एविएशन लिमिटेड, कानपुर

कमर्शियल पायलट का करियर काफी एडवेंचरस है। यह एक ऐसा प्रोफेशन है, जिसमें अभी एंट्रेंस टैस्ट का कोई प्रावधान नहीं है। कुछ ऐसे इंस्टीटय़ूट ही हैं, जो अपने स्तर पर एंट्रेंस टैस्ट आयोजित करते हैं। एडमिशन से पूर्व छात्र के मेडिकल स्टैंडर्ड, एजुकेशनल क्वालिफिकेशन एवं पुलिस वैरिफिकेशन होता है। उसमें सफल होने के बाद फ्लाइंग शुरू हो जाती है। आर्थिक मंदी के बाद अन्य क्षेत्रों की भांति एविएशन इंडस्ट्री भी प्रभावित हुई थी, लेकिन अब यह मिथक पूरी तरह से टूट चुका है तथा भारी संख्या में रिक्तियां आ रही हैं। एक बार कमर्शियल पायलट का लाइसेंस मिल जाने के बाद किसी भी एयर लाइसेंस के संबंधित ऑपरेटरों से फ्लाइंग की स्वीकृति लेनी होती है, तभी पायलट बनने का सपना पूरा हो पाता है। इस लाइसेंस का उपयोग विदेशों में भी होता है।

अधिकांश छात्रों एवं उनके पेरेंट्स को भ्रम रहता था कि यह प्रोफेशन महंगा है और जॉब मिलने में दिक्कत आती है, लेकिन अब यह सोच बदलती जा रही है तथा पेरेंट्स भी अपनी ओर से सपोर्ट दे रहे हैं। लड़कियों का भी इसमें खूब पदार्पण हो रहा है।

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