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सॉफ्टवेयर मेंटेनेंस, वक्त के साथ तकनीक की कदमताल

सॉफ्टवेयर मेंटेनेंस से मतलब होता है किसी सॉफ्टवेयर को सही करना, उसकी परफॉर्मेस को बढ़ाना, नए फीचर्स जोड़ना तथा मौजूद एर्स को हटाना। जब किसी सॉफ्टवेयर को डेवलप करने के बाद उसको इंस्टॉल कर दिया जाता है...

सॉफ्टवेयर मेंटेनेंस, वक्त के साथ तकनीक की कदमताल
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 06 Oct 2010 03:09 PM
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सॉफ्टवेयर मेंटेनेंस से मतलब होता है किसी सॉफ्टवेयर को सही करना, उसकी परफॉर्मेस को बढ़ाना, नए फीचर्स जोड़ना तथा मौजूद एर्स को हटाना। जब किसी सॉफ्टवेयर को डेवलप करने के बाद उसको इंस्टॉल कर दिया जाता है तो उसके बाद उस सॉफ्टवेयर में किया गया कोई भी बदलाव या परिवर्तन सॉफ्टवेयर मेंटेनेंस के अंतर्गत आता है।

किसी सॉफ्टवेयर सिस्टम को डेवलप करना ही काफी नहीं होता, बल्कि डेवलपमेंट के बाद प्रॉपर मेंटेनेंस करना डेवलपमेंट से ज्‍यादा चुनौतीपूर्ण काम होता है। सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के तहत मेंटेनेंस काफी महत्त्वपूर्ण विषय है, साथ ही सॉफ्टवेयर क्षेत्र से जुड़े छात्रों को भी इस विषय की संपूर्ण जानकारी होनी बहुत जरूरी है।

सॉफ्टवेयर मेंटेनेंस से मतलब होता है किसी सॉफ्टवेयर को सही करना, उसकी परफॉर्मेस को बढ़ाना, नए फीचर्स जोड़ना तथा मौजूद एर्स को हटाना। जब किसी सॉफ्टवेयर को डेवलप करने के बाद उसे इंस्टॉल कर दिया जाता है तो उसके बाद उस सॉफ्टवेयर में किया गया कोई भी बदलाव या परिवर्तन सॉफ्टवेयर मेंटेनेंस के अंतर्गत आता है।

आईटी और कंप्यूटर का क्षेत्र काफी परिवर्तनशील है। रोज ही इस क्षेत्र में बदलाव देखने को मिलता है तथा नई तकनीक मार्केट में आ जाती है। ऐसे में मौजूदा सॉफ्टवेयर को वर्तमान परिवेश में काम करने के अनुकूल बनाना अत्यंत जरूरी हो जाता है, ताकि वह सॉफ्टवेयर सही तरीके से अपना काम करता रहे। एक अनुमान के अनुसार किसी ऑर्गेनाइजेशन का तकरीबन 60% एफर्ट (effort) मेंटेनेंस एक्टिविटीज में लगता है। यह आंकड़ा अपने आप में इस बात की पुष्टि करता है कि सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में मेंटेनेंस कितना अहम स्थान रखता है।

क्यों जरूरी मेंटेनेंस

यदि संक्षेप में कहें तो सॉफ्टवेयर मेंटेनेंस की जरूरत हमें इसलिए पड़ती है क्योंकि..

सॉफ्टवेयर की परफॉर्मेस को इंप्रूव किया जा सके
सॉफ्टवेयर में मौजूद एर्स को हटाया जा सके
निकट भविष्य में होने वाले किसी एरर से सिस्टम को बचाया जा सके
करेंट टेक्नोलॉजी के अनुकूल सॉफ्टवेयर में उचित बदलाव किया जा सके।
आमतौर पर छात्र सॉफ्टवेयर मेंटेनेंस का सीधा अर्थ समझते हैं सॉफ्टवेयर से एरर को हटाना, जबकि सच्चाई है कि मेंटेनेंस का दायरा एरर हटाने तक ही सीमित नहीं होता। हमें सॉफ्टवेयर मेंटेनेंस को एक प्रॉब्लम के रूप में नहीं देख कर इसे एक सॉल्यूशन के रूप में लेना चाहिए। यह मेंटेनेंस प्रोसेस ही होता है, जो सॉफ्टवेयर को और अधिक बेहतर बनाने का रास्ता खोलता है।

मेंटेनेंस प्रोसेस किसी भी सॉफ्टवेयर के लिए लाइफ-लॉन्ग प्रोसेस होता है। कितना ही अच्छा सॉफ्टवेयर क्यों न डेवलप किया जाए, उसका सही से मेंटेनेंस करना आवश्यक है। लगभग सभी सॉफ्टवेयर कंपनियों में अलग से एक मेंटेनेंस टीम होती है, जो इससे संबंधित जिम्मेदारियों को देखती है। सॉफ्टवेयर मेंटेनेंस को अब तो क्वालिटी एश्योरेंस से जोड़ कर देखा जाने लगा है। मेंटेनेंस के लिए आजकल उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। कई टेक्नीक और टूल्स उपलब्ध हैं, जो मेंटेनेंस एक्टिविटी को आसान और प्रभावी बना देते हैं।

सॉफ्टवेयर मेंटेनेंस के विभिन्न प्रकार

एडेप्टिव मेंटेनेंस

यदि किसी सॉफ्टवेयर को ‘इंस्टॉल’ करने के बाद उसमें कोई परिवर्तन किया जाता है, क्योंकि टेक्नोलॉजी या एनवायरमेंट में कोई बदलाव आ गया है तो इस तरह का मेंटेनेंस एडेप्टिव मेंटेनेंस कहलाता है। उदाहरण के लिए, कोई सॉफ्टवेयर काम कर रहा है और बाद में यूजर की किसी खास जरूरत के अनुसार इसमें कोई बदलाव लाना जरूरी है तो यह एडेप्टिव मेंटेनेंस कहलाएगा।

परफेक्टिव सॉफ्टवेयर मेंटेनेंस

हमेशा ऐसा जरूरी नहीं है कि किसी सॉफ्टवेयर को किसी एरर या प्रॉब्लम के कारण ही उसमें बदलाव किया जाए। ऐसा भी हो सकता है कि सॉफ्टवेयर की परफॉर्मेस और प्रोसेसिंग पावर को बढ़ाना आवश्यक हो। इस तरह के बदलाव से संबंधित मेंटेनेंस को परफेक्टिव मेंटेनेंस कहते हैं।

प्रिवेंटिव मेंटेनेंस

इस तरह के मेंटेनेंस का मतलब होता है सॉफ्टवेयर को इस प्रकार से मेंटेन करना ताकि भविष्य में होने वाली प्रॉब्लम को रोका जा सके। इसे सॉफ्टवेयर री-इंजीनियरिंग भी कहा जाता हा।

करेक्टिव मेंटेनेंस

इसके नाम से ही स्पष्ट है कि इस मेंटेनेंस का संबंध एर्स को करेक्ट करना है। सॉफ्टवेयर में मौजूद एरर को करेक्टिव मेंटेनेंस के तहत हटाया जाता है।

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