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विवाह के बाद पत्नी भी स्थायी निवासी

एक महत्वपूर्ण आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि शादी होने के बाद महिला उस राज्य की निवासी हो जाती है जिस राज्य में उसका पति निवास करता है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में राज्य के स्थायी...

 विवाह के बाद पत्नी भी स्थायी निवासी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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एक महत्वपूर्ण आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि शादी होने के बाद महिला उस राज्य की निवासी हो जाती है जिस राज्य में उसका पति निवास करता है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में राज्य के स्थायी निवासी होने की आवश्यकताएं तथा नियम-कायदे लागू नहीं होते। कोर्ट ने इस संबंध में जारी उत्तराखंड सरकार के जीओ को मानने से इनकार कर दिया। यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस केाी बालाकृष्णन और पी सथाशिवम की खंडपीठ ने उत्तराखंड सरकार की विशेष अनुमति याचिका खारिा कर दी। खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार का जीओ आधारभूत कानून में बदलाव नहीं ला सकता। उत्तराखंड हाईकोर्ट का यह मत सही है कि शादी होने के बाद महिला घर वही हो जाता है जहां उसका पति निवास करता है। भारतीय उत्तराधिकार कानून, 1ी धारा 15 और 16 में भी यही कहा गया है कि महिला का घर वहीं होगा जो उसके पति का है। याचिका पर बहस करते हुए उत्तराखंड की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गौरब बैनर्जी तथा गौतम झा ने कहा कि उत्तराधिकार कानून के नियम संपत्ति हस्तांतरण पर लागू होते हैं। इस मामले में 20 नवंबर 2001 का फैसला लागू होगा जिसमें माता-पिता के आवास को स्थायी आवास माना गया है। इसके अनुसार बाला उप्र की निवासी हैं। उन्होंने कहा कि डोमिसाइल (स्थायी निवासी) पर नियम बिल्कुल स्पष्ट हैं। स्थायी निवासी ऐसे व्यक्ित को माना जाता है जो भारत का नागरिक हो तथा उत्तराखंड में स्थायी रूप से निवास कर रहा हो। स्थायी निवासी वह व्यक्ित है जिसका राज्य में स्थायी आवास है तथा वह उसमें15 वर्षों से निवास कर रहा हो। या फिर ऐसे लोग जो स्थायी निवासी हों लेकिन जीविका के कारण राज्य से बाहर रह रहे हों। इस बार में एक जीओ भी जारी किया गया है लेकिन खंडपीठ ने उनके तर्क खारिज कर दिए। दरअसल 1में महावीर सिंह के साथ विवाह होने के बाद मुरादाबाद की ज्योतिबाला उत्तराखंड के काशीपुर में आकर रहने लगी। 28 मार्च 2008 को उसने राज्य की न्यायिक सेवा में आवेदन किया और सफलतापूर्वक आरक्षित वर्ग में चुन ली गई। इंटरव्यू के दौरान उससे राज्य की स्थायी निवासी होने का प्रमाण मांगा गया। उसने अपने पति का प्रमणपत्र दिखाया लेकिन राज्य चयन आयोग ने उससे उसके पिता का स्थायी निवासी का प्रमाणपत्र मांगा। बाला ने मुरादाबाद से पिता का प्रमाण पत्र दिया जिस पर बोर्ड ने उसे उत्तर प्रदेश का निवासी मानकर चयन सूची से हटा दिया और कहा कि राज्य की नौकरियां सिर्फ उत्तराखंड के स्थायी निवासियों के लिए ही सुरक्षित हैं। बाला की रिट याचिका पर हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वीके गुप्ता की खंडपीठ ने 16 दिसंबर को उत्तराखंड सरकार का फैसला पलट दिया। उच्च न्यायालय ने कहा भारतीय उत्तराधिकार कानून की धारा 15, 16 के तहत उत्तराखंड के स्थायी निवासी से विवाह के कारण बाला भी राज्य की स्थायी निवासी हो गई है इसलिए उसे एक हफ्ते में नियुक्ित पत्र जारी किया जाए।

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