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लाइसेंस बनवाने के लिए नहीं काटने होंगे चक्कर!

प्राइवेट कंपनी का प्रस्ताव सिरे चढ़ा तो शहर के व्यापारियों को लाइसेंस बनवाने के लिए नगर निगम के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। इससे जुड़ी समूची सर्विस उनको दहलीज पर मिलेगी। लाइसेंस फीस भरने वास्ते भी...

लाइसेंस बनवाने के लिए नहीं काटने होंगे चक्कर!
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 15 Sep 2010 09:45 PM
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प्राइवेट कंपनी का प्रस्ताव सिरे चढ़ा तो शहर के व्यापारियों को लाइसेंस बनवाने के लिए नगर निगम के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। इससे जुड़ी समूची सर्विस उनको दहलीज पर मिलेगी। लाइसेंस फीस भरने वास्ते भी कारोबार छोड़कर कहीं जाने की जरूरत नहीं होगी। इससे नगर निगम की रिकवरी में भी 20 से 30 फीसदी बढ़ोतरी की संभावना है। इसका पैसा शहर के विकास में काम आएगा। दरअसल, ऐसी संभावनाओं के साथ मंगलवार को दो निजी कंपनियों के प्रतिनिधियों ने निगम के अफसरों के सामने नगर निगम सभागार में अपने प्रस्ताव का प्रदर्शन किया। दो घंटे चले इस कार्यक्रम में फिलहाल अध्ययन के लिए निगम का रिकार्ड देने का फैसला किया गया है।
दिल्ली की अरिस्ता कंसलटेंट, ब्राडलाइन कंसलटेंट कंपनी ने रिकवरी व्यवस्था सुधारने के लिए निगम को एक प्रस्ताव दिया है। जिसमें लाइसेंस व्यवस्था को अपडेट कर व्यापारियों को बेहतर सर्विस देने का लक्ष्य है। टर्नओवर के आधार पर निगम अभी कारोबारियों पर लाइसेंस फीस लगाती है। लाइसेंस बनवाने के लिए कारोबारियों को भी निगम आना पड़ता है। रिकवरी के लिए निगम के कर्मचारियों को व्यापारियों के पास जाना पड़ता है। कई बार ऐसा भी होता है कि व्यापारी अपना ठिकाना बदल लेता है। इससे निगम को नुकसान होता है। ऐसी व्यवस्था के बीच कम रिकवरी की बात सामने आती हैं। उधर, कारोबारियों को भी ऐसी प्रक्रिया पूरी करने में काफी समय लगता है। कारोबार के लिहाज से जो नुकसानदायक है। इसमें सुधार के लिए किए हल्के सर्वे में कंसलटेंट कंपनियों ने कारोबारी व निगम दोनों के लिए बेहतर उपाय तलाशे हैं। अफसरों को दिए अपने प्रस्ताव के प्रदर्शन में अरिस्ता कंसलटेंट की निदेशक एकता चाचर ने बताया कि लाइसेंस बनाने से लेकर रिकवरी तक की जिम्मेदारी उनकी कंपनी निभाएगी। रिकार्ड आनलाइन किया जाएगा। निगम को पूरी रिकवरी मिलेगी। उसकी मैनपावर भी बच जाएगी। उधर, लाइसेंस की प्रक्रिया के लिए कारोबारियों को अपना कारोबार छोड़ने की जरूरत महसूस नहीं होगी। ज्यादा रिकवरी से राजस्व में इजाफा होगा। जो पैसा शहर के विकास पर खर्च हो सकेगा। इस मीटिंग में निगम के प्रशासनिक अफसर, जेडटीओ, लाइसेंस स्टॉफ उपस्थित था। कार्रवाई आगे बढ़ाने के लिए संबंधित कंपनियों ने अध्ययन के लिए निगम का रिकार्ड मांगा है। इसके बाद कोई फैसला हो पाएगा।

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