एएफएसपीए पर सीसीएस की चुप्पी, सर्वदलीय बैठक 15 को
जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर हिंसा भड़क उठने के बाद सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस- ने सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (एएफएसपीए) जैसे विवादास्पद मुददे पर निर्णय टाल दिया और वहां की नाजुक...
जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर हिंसा भड़क उठने के बाद सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस- ने सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (एएफएसपीए) जैसे विवादास्पद मुददे पर निर्णय टाल दिया और वहां की नाजुक स्थिति पर विचार करने के लिये 15 सितंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाने का निर्णय किया है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में सोमवार की शाम यहां हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में यह फैसला किया गया। समिति ने जम्मू-कश्मीर के हालात की समीक्षा करते हुए ईद के बाद से हुए वहां के हिंसक घटनाक्रम पर गहरी चिन्ता व्यक्त की और राज्य के विभिन्न गुटों से बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने का इरादा जाहिर किया और कहा कि राज्य की समस्या का स्थायी और सम्मानजनक हल निकालने का यही एकमात्र तरीका है।
बैठक के बाद जारी सरकारी बयान के मुताबिक सीसीएस ने प्रदेश की जनता विशेषकर युवाओं से अपील की है कि वे हिंसक प्रदर्शनों से बचें और शांति व्यवस्था कायम रखें। बयान में कहा गया कि संप्रग सरकार का हमेशा से मानना रहा है कि बातचीत के जरिए भी कोई सम्मानजनक और स्थायी समाधान निकल सकता है। पूर्व में भी संप्रग सरकार ने विभिन्न राजनीतिक दलों और हुर्रियत सहित विभिन्न राजनीतिक समूहों के साथ बातचीत करने की कई पहल की हैं।
तीन घंटे तक चली बैठक के बाद जारी आधिकारिक बयान में हालांकि एएफएसपीए का कोई जिक्र नहीं है। बैठक से पहले यह अटकलें लगायी जा रही थीं कि जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की एएफएसपीए को आंशिक रूप से हटाये जाने की मांग पर विचार किया जा सकता है।