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Hindi News मुशर्रफ नहीं घिरे होते, तो हो जाता कश्मीर समझौता : थरूर

मुशर्रफ नहीं घिरे होते, तो हो जाता कश्मीर समझौता : थरूर

संयुक्त राष्ट्र संघ के पूर्व अंडर सैक्रेट्री जनरल शशि थरूर का कहना है कि यदि जनरल परवेज मुशर्रफ को आंतरिक राजनीतिक समस्याओं ने नहीं घेर लिया होता तो भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर पर समझौता हो सकता...

 मुशर्रफ नहीं घिरे होते, तो हो जाता कश्मीर समझौता : थरूर
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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संयुक्त राष्ट्र संघ के पूर्व अंडर सैक्रेट्री जनरल शशि थरूर का कहना है कि यदि जनरल परवेज मुशर्रफ को आंतरिक राजनीतिक समस्याओं ने नहीं घेर लिया होता तो भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर पर समझौता हो सकता था। जयपुर लिट्रचर फेस्टिवल में अपनी पुस्तक द एलीफेण्ट, द टाइगर एण्ड द सेलफोन्स पर आयोजित परिचर्चा में थरूर ने कहा कि जनरल मुशर्रफ न्यायपालिका के साथ टकराव के बाद पाकिस्तान में जो हालात बने उसके मद्देनजर मुशर्रफ के लिये समझौते पर आगे बढ़ना मुनासिब नहीं रहा वरना दोनों देश समझौते के बेहद करीब थे।ड्ढr ड्ढr थरूर ने मुम्बई हमलों के बाद यूपीए सरकार द्वारा राज्यों के विस चुनावों में राजनीतिक लाभ मिलने की सम्भावना के बावजूद सैन्य कार्रवाई के विकल्प से दूर रहने के संयम की प्रशंसा की। साथ ही कहा कि भारत के कूटनीतिक प्रयासों के परिणाम दिखने शुरू हो गए हैं। लेकिन उसे दबाव बनाए रखना होगा क्यों कि यदि मुम्बई की तरह का दूसरा हमला हुआ तो यह जानते हुए भी कि युद्ध से कोई लाभ हासिल नहीं होगा, जनता की नाराजगी के राजनीतिक नुकसान से बचने के लिये भारत सरकार को यह कदम उठाना किसी तरह की सैन्य कार्रवाई पर मजबूर होना पड़ सकता है।ड्ढr ड्ढr अपनी किताब में भारत में आए बदलावों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि एक समय भारत में टेलिफोन हासिल करने के लिये आठ साल लगते थे और आज एक साल में 1 करोड़ लोगों के हाथ में सेलफोन पहुंचाने का विश्व कीर्तिमान बन गया है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इसका इस्तेमाल समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़ा व्यक्ति भी कर रहा है।ड्ढr ड्ढr थरूर के अनुसार अब छोटे कस्बों और शहरों से आत्मविश्वास से लबालब एक ऐसी पीढ़ी सामने आ रही है, जो मेरिट के दम पर आगे बढ़ रही है, जिसमें कतई कमतरी का अहसास नहीं है और दुनिया से आंखों में आंखें डाल कर बात कर सकती है। इसमें उन्होंने महेन्द्र सिंह धोनी और श्रीसंत का उदाहरण दिया। थरूर को इस बात का आश्चर्य जरूर है कि देश में बेहतरीन विकास दर और शिक्षा में सुधार के बावजूद हिंदुत्व कट्टरता का प्रसार हो रहा है।

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