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अपहृत पुलिसकर्मियों की रिहाई को लेकर अनिश्चितता बरकार

बिहार के लखीसराय जिले के कजरा थाना क्षेत्र से गत 29 अगस्त को अपहृत तीन पुलिसकर्मियों को लेकर रविवार को सातवें दिन भी अनिश्चितता बरकार है। माओवादियों ने जहां उन्हें रिहा कर दिए जाने की बात कही है वहीं...

अपहृत पुलिसकर्मियों की रिहाई को लेकर अनिश्चितता बरकार
एजेंसीMon, 06 Sep 2010 10:50 AM
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बिहार के लखीसराय जिले के कजरा थाना क्षेत्र से गत 29 अगस्त को अपहृत तीन पुलिसकर्मियों को लेकर रविवार को सातवें दिन भी अनिश्चितता बरकार है। माओवादियों ने जहां उन्हें रिहा कर दिए जाने की बात कही है वहीं राज्य सरकार का कहना है कि इस बारे में उनके पास कोई अधिकत सूचना नहीं है।

नीतीश ने रविवार को संवाददाताओं से कहा कि मुझे बंधकों के (माओवादियों द्वारा) रिहा किए जाने के बारे में कोई जानकारी नहीं है। माओवादियों की तरफ से दावा किया गया था उन्होंने बंधकों को मुक्त कर दिया है, जिसके बाद मुख्यमंत्री का बयान आया।

इससे पूर्व एक टीवी चैनल पर खगडिया जिले में किशनजी नामक एक स्वयंभू नक्सली नेता को बंधक बनाए गए तीन पुलिसकर्मियों में से एक अभय के परिजनों से भेंट करते हुए दिखा गया है। किशनजी ने अभय की पत्नी रजनी यादव को आश्वासन दिया कि उनके पति शीघ्र पहुंच जाएंगे। उन्होंने कहा कि नक्सलियों की भी मां-बहनें होती है और अभय की पत्नी को अपनी बहन बताते हुए रजनी से अपनी दायीं हाथ में राखी बंधवाई।

बंधक बनाए गए अवर निरीक्षक अभय यादव की पत्नी रजनी यादव ने राज्य सरकार पर उनके पति की रिहाई के लिए ढुलमुल रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कल कहा था कि अगर उनके पति को जल्द मुक्त नहीं किया गया तो वह आत्महत्या कर लेंगी।

बेगूसराय के शाहपुर कमाल गांव निवासी 41 वर्षीय रजनी ने यह भी कहा था कि अगर उनके पति को कुछ हो जाता है तो उनके चार बच्चों का भविष्य क्या होगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर उनके पति को अगर कुछ हो जाता है तो उनके बच्चों हथियार उठाकर नक्सली भी बन सकते हैं।

एक स्थानीय टीवी चैनल पर प्रसारित खबर के मुताबिक अभय के परिजन से भेंट करने पहुंचे स्वयंभू नक्सली नेता किशनजी ने बताया कि अभय की पत्नी और उनके बच्चों की मन: स्थिति को देखकर वह अभय को रिहा करने के लिए बाध्य हुए हैं।

बिहार सरकार द्वारा कल पटना में आयोजित सर्वदलीय बैठक के बाद प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के स्वयंभू प्रवक्ता अविनाश ने सरकार से बातचीत की पेशकश ठुकराते हुए एक टीवी चैनल के जमुई स्थित स्थानीय पत्रकार को कल देर शाम फोन पर बंधक तीनों पुलिसकर्मियों को बिना शर्त सुबह आठ बजे तक रिहा कर दिए जाने की बात कही थी।
 
अविनाश ने कल कहा था कि उनके संगठन की केंद्रीय समिति ने बंधकों को न तो सरकार और न ही पुलिस बल्कि उनके परिवार के सदस्यों को सौंपने का निर्णय किया है। यह पूछे जाने पर क्या वे मीडियाकर्मियों के समक्ष बंधकों को उनके परिवार को सौंपेगे तो अविनाश ने कहा कि इस बारे में मीडिया वालों को भी जानकारी नहीं दी जाएगी।

टीवी चैनल पर प्रसारित खबरों के अनुसार नक्सलियों के अगवा पुलिसकर्मियों को बांका और जमुई की सीमा पर पहाड़ी इलाके में आज सुबह छोड़े जाने की बात कही जा रही है पर पुलिस ने इसकी अभी तक पुष्टि नहीं की है। बिहार के पुलिस महानिदेशक नीलमणि और राज्य के पुलिस महानिरीक्षक (अभियान) के एस द्विवेदी ने बताया कि बंधकों को रिहा करने को लेकर उनके पास अब तक कोई अधिकारिक सूचना नहीं प्राप्त हुई है और उनकी तलाश जारी है।

तलाशी अभियान की अगुवाई कर रहे द्विवेदी ने बताया कि टीवी चैनलों के माध्यम से इस आशय की सूचना मिलने पर लखीसराय, मुंगेर, जमुई, बांका और कैमूर के पुलिस अधीक्षकों को इस बारे में एलर्ट कर दिया गया है।

उल्लेखनीय है कि गत 29 अगस्त को लखीसराय जिले के कजरा थाना क्षेत्र के रामटालनगर गांव के पास हुई मुठभेड़ में सात पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे जबकि माओवादियों ने चार पुलिसकर्मियों का अपहरण कर लिया था। नक्सली चारों बंधकों की रिहाई के एवज में सरकार से राज्य की विभिन्न जेलों में बंद उनके आठ साथियों जय पासवान, विजय चौरसिया, प्रेम भूषण, प्रमोद बर्नवाल, रामविलास तांती, रमेश तिर्की, अजरुन कोडा और रत्तू कोडा की रिहाई की मांग कर रहे हैं।

माओवादियों द्वारा अपहृत पुलिसकर्मियों में से एक लुकास टेटे की गत तीन अगस्त को हत्या कर दी थी जबकि अन्य अवर निरीक्षक रूपेश कुमार और अभय प्रसाद यादव तथा बीएमपी हवलदार एहतशाम खान को अब भी माओवादियों के चंगुल में हैं।

 

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