कम किया जा सकता है भारी प्रीमियम का दबाव
बीमा कराने के बाद उसकी हर साल प्रीमियम देनी होती है। कई बार यह रकम काफी बड़ी होती है। ऐसे में अगर थोड़ा जुगाड़ लगाया जाए तो प्रीमियम की जिम्मेदारी को काफी कम किया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है बैंक...
बीमा कराने के बाद उसकी हर साल प्रीमियम देनी होती है। कई बार यह रकम काफी बड़ी होती है। ऐसे में अगर थोड़ा जुगाड़ लगाया जाए तो प्रीमियम की जिम्मेदारी को काफी कम किया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है बैंक या पोस्ट आफिस की आरडी की मदद ली जाए। यहां पर 7.5 प्रतिशत का ब्याज मिलता है।
ऐसे में अगर किसी की वार्षिक प्रीमियम 12 हजार रुपए है तो उसे हर माह 160 रुपए की आरडी शुरू करनी चाहिए। पांच साल में यह आरडी करीब 12 हजार रुपए देगी। इस प्रकार पांच साल बाद की प्रीमियम का जुगाड़ हो जाएगा।
लेकिन प्रीमियम लोगों को हर साल देनी पड़ती है। ऐसे में निवेशक को चाहिए कि शुरू के पांच साल तक हर साल एक आरडी शुरू करे। पांच साल के बाद हर साल एक आरडी पूरी होगी और निवेशक एक नई आरडी शुरू कर सकता है। इस प्रकार निवेशक को पांचवें साल में आरडी के रूप में हर माह आठ सौ रुपए जमा करना होगा, और वर्ष में यह रकम 9600 रुपए होगी।
इस प्रकार पांचवें साल से निवेशक की वार्षिक 12 हजार रुपए की प्रीमियम का जुगाड़ केवल 9600 रुपए में हो जाएगा। इस प्रकार करीब 20 प्रतिशत की बचत संभव है। अगर 160 की जगह 200 रुपए महीने का निवेश किया जाए तो 15 हजार रुपए की प्रीमियम जमा की जा सकती है।
सुनने में यह तरीका कुछ कठिन हो सकता है लेकिन वास्तव में है बहुत आसान। वह इसलिए की हर बैंक में ईसीएस यानी अपने आप पैसा खाता से जाने की सुविधा होती है। ऐसे में निवेशक को बस कराना इतना है कि वह बैंक को बता दे कि उसे कितने रुपए की आरडी करना है। बाद का काम बैंक अपने आप करेगा।