अधिक उम्र में मां बनने की समस्या का सूत्र मिला
वैज्ञानिकों ने पहली बार एक ऐसे प्रोटीन का पता लगाया है जो अधिक उम्र की महिलाओं में बांझपन, गर्भपात का खतरा बढ़ने और नवजात शिशुओं में विकृतियों के पनपने के लिए जिम्मेदार है। अभी तक यही पता चला था कि...
वैज्ञानिकों ने पहली बार एक ऐसे प्रोटीन का पता लगाया है जो अधिक उम्र की महिलाओं में बांझपन, गर्भपात का खतरा बढ़ने और नवजात शिशुओं में विकृतियों के पनपने के लिए जिम्मेदार है।
अभी तक यही पता चला था कि 30 की उम्र के उत्तरार्ध तथा 40 की उम्र के शुरूआत में बच्चों को जन्म देने पर, बच्चों के अपंग या विभिन्न प्रकार की विकृतियां होने का खतरा बढ़ जाता है और ऐसा अंडाणु में क्रोमोसोम के गलत नंबर होने के कारण होता है। लेकिन ऐसा क्यों होता है, इसका पता नहीं चल पाया था।
लेकिन अब न्यूकासल यूनिवर्सिटी और न्यूकासल फर्टिलिटी सेंटर के शोधकर्ताओं ने कोहेसिन नामक प्रोटीन की पहचान की है जो महिलाओं की उम्र बढ़ने पर कोशिकाओं के विभाजन और क्षरण में नाटकीय भूमिका अदा करता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, इस प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा नहीं होने पर अंडे असामान्य तरीके से विभाजित होते हैं जिससे कोशिश विभाजन बेतरतीब होता है और यही क्रोमोसोम के असमान्य नंबर का कारण बनता है। दी टेलीग्राफ में यह समाचार प्रकाशित हुआ है।
इस प्रकार दोषपूर्ण अंडे विकसित होने में विफल रहते हैं और इसके परिणामस्वरूप बांझपन, गर्भपात और जन्मजात विकृतियों का खतरा बढ़ जाता है। इंस्टीटयूट आफ ऐजिंग एंड हेल्थ में प्रजनन जीव विज्ञान की रीडर हर्बर्ट ने कहा कि निसंदेह, महिलाओं के लिए इस समस्या से बचने का सर्वाधिक बेहतर तरीका यही है कि वे सही उम्र में मां बनें।