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मूंछों के लिए मनाना मुश्किल था: अभिनव कश्यप

‘ब्लैक फ्राईडे’, ‘देव डी’ और ‘गुलाल’ जैसी उम्दा फिल्में बनाने वाले निर्देशक अनुराग कश्यप के भाई हैं अभिनव कश्यप। सलमान खान की फिल्म ‘दबंग’ बनाने से...

मूंछों के लिए मनाना मुश्किल था: अभिनव कश्यप
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 03 Sep 2010 03:24 PM
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‘ब्लैक फ्राईडे’, ‘देव डी’ और ‘गुलाल’ जैसी उम्दा फिल्में बनाने वाले निर्देशक अनुराग कश्यप के भाई हैं अभिनव कश्यप। सलमान खान की फिल्म ‘दबंग’ बनाने से पहले अनुभव मणिरत्नम की फिल्म ‘युवा’ समेत कई बड़ी फिल्मों में बतौर सहायक निर्देशक काम कर चुके हैं। प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के कुछ प्रमुख अंश।

आप अपनी पहली फिल्म को लेकर कितने नर्वस हैं?

नर्वस बिल्कुल नहीं हूं, क्योंकि यह फिल्म बहुत अच्छी बनी है और मुझे भरोसा है कि यह कामयाबी के रिकॉर्ड तोड़ेगी।

क्या ईद पर इसे रिलीज करने से फायदा होगा?

बिल्कुल होगा। सलमान हैं इसमें, उसका भी फायदा होगा, सोनाक्षी सिन्हा के होने फायदा होगा, साजिद-वाजिद के हिट म्यूजिक का फायदा होगा।

आपको उम्मीद थी कि फिल्म इतनी बड़ी और भव्य बनेगी?

नहीं, इसे लिखते समय मैंने ऐसा बिल्कुल नहीं सोचा था। मेरी जिंदगी का सबसे खास दिन वह था, जब मैं अरबाज खान को इस फिल्म के लिए साइन करने गया और मुझे उन जैसा प्रोड्यूसर भी मिल गया। इसे कहते हैं एक के साथ एक फ्री। 

सलमान खान को बहुत मूडी माना जाता है। उनके साथ काम करने में कोई दिक्कत?

बिल्कुल नहीं। एक तो वह उतने मूडी हैं, नहीं जितना उनके बारे में कहा जाता है और जैसे ही उन्होंने यह स्क्रिप्ट सुनी तो वह अच्छे मूड में आ गए और इसे करने को राजी हो गए।

सलमान को मूंछों में दिखाने का आइडिया किसका था?

आइडिया तो मेरा ही था, क्योंकि जिस जगह की यह कहानी है वहां पर पुलिस वाले आमतौर पर थोड़े भारी और मूंछों वाले होते हैं। लेकिन सलमान को मूंछें लगाने के लिए मनाना सचमुच बहुत ही मुश्किल था।

अब इंडस्ट्री में कई गुट बन गए हैं। आप क्या कहेंगे?

मैं किसी गुट का हिस्सा बनने की बजाय अच्छे सिनेमा के गुट का हिस्सा बनना चाहूंगा।

आप किसी फिल्मी परिवार से नहीं हैं। मुश्किलें तो आई होंगी?

हां, मैं बहुत सारी मुश्किलों में से होकर निकला हूं। यहां काफी ऐसे लोग हैं, जिनके पास अच्छी स्क्रिप्ट है और वे डायरेक्ट भी कर सकते हैं, लेकिन ये बात दूसरों से मनवाना काफी मुश्किल है। मुझे खुद यहां पर दस साल हो चुके हैं तब जा कर मैं ‘दबंग’ बना पाया हूं।

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