फोटो गैलरी

Hindi Newsलंदन-पेरिस नहीं पालमपुर और जैसलमेर चलिए

लंदन-पेरिस नहीं पालमपुर और जैसलमेर चलिए

पहाड़ के बदलते रंग पालमपुर खींच लाते हैं पालमपुर के पहाड़ हर घंटे रंग बदल लेते हैं, मानो प्रकृति ने चित्रकारी के लिए इन्हें अपना कैनवास बना रखा हो। जैसलमेर की सुनहरी शाम और पल भर में जगह बदल देने...

लंदन-पेरिस नहीं पालमपुर और जैसलमेर चलिए
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 05 Aug 2010 01:41 PM
ऐप पर पढ़ें

पहाड़ के बदलते रंग पालमपुर खींच लाते हैं

पालमपुर के पहाड़ हर घंटे रंग बदल लेते हैं, मानो प्रकृति ने चित्रकारी के लिए इन्हें अपना कैनवास बना रखा हो। जैसलमेर की सुनहरी शाम और पल भर में जगह बदल देने वाले रेत के टीले आपको एक-एक पल को कैमरे में कैद करने के लिए उकसा देंगे। दूसरी तरफ, केरल के थिक्कडै की बारिश और उस मौसम की हरियाली मन को इस कदर छू जाती है कि आप इन जगहों पर बार-बार जाने के लिए मचल उठेंगे। प्रख्यात सरोद वादक बिश्वजीत रॉय चौधुरी की नजर से देखते हैं इन जगहों को।

घूमने के लिए मार्च से जून के बीच दिल्ली वासियों का एक ही रास्ता होता है और वह है हिमाचल की राह। उनमें भी ज्यादातर लोग शिमला की ओर जाते हैं। अपना मकान हो, होटल हो या लॉज, दिल्ली वालों से पूरा शिमला भरा रहता है। लेकिन, मैं हिमाचल के ही दूसरे पहाड़ कांगड़ा की तरफ जाता हूं। मैं इस मौसम में धौलाधार पहाड़ों के बीच में स्थित कांगड़ा, धर्मशाला और पालमपुर क्षेत्र में समय बिताना खूब पसंद करता हूं।

पालमपुर क्षेत्र में सबसे खास बात तो ये है कि सैलानियों की उतनी भीड़ नहीं होती। साथ ही पहाड़ के बीच वह वैली मिलती है, जहां हरियाली, पहाड़ी नदी, झरने की खूबसूरती और पीछे दीवार की तरह धौलाधार पहाड़ के मनोरम दृश्य का आनन्द उठाना बेहद अनोखा अनुभव बन जाता है। अत्यंत शांत वातावरण में एक-एक घंटे में पहाड़ के कई रंग देखने को मिलते हैं। सूरज की किरणें किसी चित्रकार की तरह पहाड़ पर अलग-अलग रंग बदलती रहती हैं। कभी नीला पहाड़, कभी सफेद बर्फ तो कभी बादल में ढका काला पहाड़। पहाड़ एक से बढ़कर एक रंग बदलते हुए मन में उतरते चले जाते हैं।

पूरे कांगड़ा क्षेत्र में 15-20 किलोमीटर की दूरी पर छोटे-छोटे कस्बे फैले हुए हैं, जहां 10-15 दिन आराम से बिताया जा सकता है। आसपास भी घूमने योग्य काफी जगह हैं। पास ही में स्थित मैक्डॉलगंज है, जहां दलाईलामा से मिलने के साथ-साथ मंदिरों में भी जाने का अवसर मिल जाता है।

मुझे सबसे अच्छा लगा है योल में समय बिताना। यह धौलाधार क्षेत्र का बिल्कुल नीचे का कस्बा है। यहां स्कूल, कॉलेज भी हैं, रेस्टोरेंट भी है, मार्केट भी। यानी भरा-पूरा खुशहाल जीवन है यहां। इस कस्बे के आगे-पीछे कुछ नहीं है और बगल में धौलाधार खड़ा है। यूं कहें कि धौलाधार के चरणों में स्थित है यह कस्बा। यहां का प्रसिद्ध खाना राजमा-चावल है। मैक्डॉलगंज से काफी संख्या में लामा लोग भी इस कस्बे में आते रहते हैं। पास ही में आधे घंटे की दूरी पर हवाई अड्डा भी है।

इसके अलावा पालमपुर भी बहुत अच्छा है। यह तो एक शहर है। यहां की चाय तो विश्वविख्यात है। पालमपुर की हरियाली, वहां की सुंदरता, बागान ही नहीं घरों के बगीचे भी बेहद आकर्षक हैं। यहां से एक छोटी नदी भी गुजरती है, जिसका कलकल-छलछल कर बहता पानी आसपास संगीत बिखेरता रहता है।

कांगड़ा जिले में ही एक छोटा-सा कांगड़ा कस्बा भी है, जहां एक म्यूजियम है। उसमें प्राचीन काल की पेंटिंग हैं। खासकर कांगड़ा की रागों पर आधारित मिनिएचर पेंटिंग को देखना बहुत अच्छा लगता है। अत्यन्त मृदुभाषी, शांतिप्रिय और अतिथिपरायण लोग हैं यहां, जिनके यहां रहना और अच्छा लगता है। मध्यवर्गीय लोगों के लिए भी कांगड़ा क्षेत्र में 10-15 दिनों तक रहना नहीं खलेगा, क्योंकि ये जगहें काफी सस्ती हैं। रहने के लिए होस्टल आदि तो हैं ही, स्थानीय लोग अपने घरों में भी ठहरा लेते हैं। 

अद्भुत है थिक्कडै की हरियाली

जून से सितम्बर के बीच के मौसम यानी बारिश का आनन्द उठाना है तो केरल की यात्रा यादगार बन जाती है। थिक्कडै क्षेत्र में जाना मुझे बेहद पसंद है। लगातार बारिश में चारो तरफ हरियाली और इस मौसम में छोटी-छोटी नावों की यात्रा का आनन्द अद्भुत होता है। अगर हरे रंग की बात करें तो यही जगह है, जहां चारों तरफ हरियाली ही हरियाली दिखती है। छोटे-छोटे गांव के लोग बहुत मददगार होते हैं। चावल, मछली, नारियल, केला और तरह-तरह की तीखी सब्जियां एक अनोखी दुनिया में होने का अहसास कराती हैं। थिक्कडै मुझे इस लिए भी काफी पसंद है, क्योंकि यहां तमाम प्राकृतिक सौंदर्य तो हैं ही, पर्यटकों के लिए सुविधाएं भी बहुत अच्छी हैं। चाहे सरकारी स्तर पर सुविधा की बात करें या गैरसरकारी स्तर पर, आपको दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा।

नैसर्गिक नजारों के लिए सिर्फ जैसलमेर

सर्दियों के मौसम में मुझे जैसलमेर जाना सबसे ज्यादा भाता है। यहां मौसम का भी आनन्द उठाता हूं और इस मौसम में आयोजित होने वाले अनेक समारोहों में भी भाग लेता हूं। सुनहरा रंग देखना हो तो जैसलमेर जाना पड़ेगा। सूर्यास्त का नैसर्गिक नजारा अगर अनुभव करना है तो जैसलमेर से अच्छी जगह कोई नहीं। शाम के समय यानी सूर्यास्त के समय 8-10 मिनट के लिए पूरा शहर सपनों की दुनिया-सा लगता है। अगर आसपास रेत दिख जाए तो और मजा आ जाता है। रेत पर रात में होने वाले मरु महोत्सव, जैसलमेर उत्सव समेत अनेक संगीत कार्यक्रम और उस दौरान खाना-पीना खूब आनन्द देता है। फोर्ट-पैलेस आदि की शूटिंग करते लोग खूब नजर आ जाते हैं। यह दृश्य ही ऐसा मनोरम होता है कि उन्हें कैमरे में कैद करके रख लेने को मन मचल पड़ता है। लंदन, पेरिस, रोम तो अपनी जगह है, दिल्ली से कुछ घंटे की दूरी पर यह जगह न्यूयॉर्क की भीड़भाड़ से बहुत अच्छी है।

न्यूयॉर्क के मैनहट्टन की डरावनी कृत्रिम इमारतों की तुलना में कई गुणा ज्यादा आनन्द अपने देश की इन जगहों पर मिल जाता है। अगर लंदन, पेरिस और रोम प्राचीन आर्किटेक्ट में बेहतर हैं तो पालमपुर का नैसर्गिक सौंदर्य या थिक्कडै  की हरियाली या जैसलमेर का सूर्यास्त तनिक भी कम नहीं।

कैसे पहुंचें

पालमपुर

दिल्ली से पालमपुर की दूरी 534 किलोमीटर और जिला मुख्यालय कांगड़ा की दूरी 497 किलोमीटर है। निकटतम हवाई अड्डा गग्गाल है, जो पालमपुर से 40 किलोमीटर दूर है। यहां से बसें मिल जाती हैं। पालमपुर में रेलवे स्टेशन है, जो पठानकोट-जोगिन्दरनगर रेल लाइन पर है।

यहां के लिए राज्य परिवहन निगम की बसों की अच्छी सेवा है। प्रमुख शहर धर्मशाला यहां से सिर्फ 40 किलोमीटर दूर है और जिला मुख्यालय कांगड़ा की दूरी सिर्फ 38 किलोमीटर है।

थिक्कडै

थिक्कडै इडुकी जिले में है। जिला मुख्यालय से थिक्कडै की दूरी 60 किलोमीटर है। निकटतम हवाई अड्डा मदुरै है, जो यहां से 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कोच्चि हवाई अड्डे से यहां की दूरी 190 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन टेनी यहां से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

कुमिली बस स्टेशन यहां से 4 किलोमीटर दूर है। कुमिली से छोटी गाड़ियां मिल जाती हैं। कुमिली राज्य के तमाम शहरों से बस मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

जैसलमेर

दिल्ली से जैसलमेर की दूरी 793 किलोमीटर है। निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर है, जो यहां से 300 किलोमीटर की दूरी
पर है। जैसलमेर रेल लाइन से सीधा जुड़ा हुआ है और दिल्ली से भी यहां के लिए रेलगाड़ियां जाती हैं। राज्य परिवहन निगम की बसें यहां के लिए नियमित रूप से चलती हैं।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें