बैंक मैनेजर की बर्खास्तगी के विरुद्ध याचिका खारिज
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बर्खास्तगी से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि यदि किसी कर्मचारी को विभागीय कार्यवाही में बचाव का पूरा अवसर दिया गया तो ऐसे मामलों में हाईकोर्ट को विभागीय...
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बर्खास्तगी से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि यदि किसी कर्मचारी को विभागीय कार्यवाही में बचाव का पूरा अवसर दिया गया तो ऐसे मामलों में हाईकोर्ट को विभागीय प्राधिकारियों के निष्कर्षो पर तकनीकी व मामूली आधारों पर हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनील अंबवानी एवं न्यायमूर्ति काशीनाथ पांडेय की खंडपीठ ने भारतीय स्टेट बैंक की सीएमपी डिग्री कॉलेज शाखा के प्रबंधक रहे एमएन वर्मा की याचिका को खारिज करते हुए दिया। न्यायालय ने कहा कि याची को कर्तव्यपालन में लापरवाही बरतने का आरोप गलत साबित करने का पूरा अवसर दिया गया। इस कारण बर्खास्तगी आदेश को उसके अपराध की तुलना में अधिक नहीं माना जाना चाहिए। याची पर हाउस लोन दिए जाने के मामले में कर्तव्यपालन में लापरवाही बरतने का आरोप था, जिसके मुताबिक उन्होंने घर का निर्माण हुए बगैर ही ऋण की समस्त किश्तों का भुगतान कर दिया था। विभाग ने इस मामले में याची को पक्ष प्रस्तुत करने का पूर्ण अवसर दिया और बाद में याची को बर्खास्त कर दिया।