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उच्च शिक्षा के लिए राज्य आवंटन बढ़ाएं: थोरट

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो सुखदेव थोरट ने कहा कि राज्यों को उच्च शिक्षा के लिए योजनागत परिव्यय बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा केन्द्र सरकार ने 11वीं योजना के तहत उच्च शिक्षा के योजनागत...

उच्च शिक्षा के लिए राज्य आवंटन बढ़ाएं: थोरट
एजेंसीSun, 01 Aug 2010 08:21 PM
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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो सुखदेव थोरट ने कहा कि राज्यों को उच्च शिक्षा के लिए योजनागत परिव्यय बढ़ाना चाहिए।

उन्होंने कहा केन्द्र सरकार ने 11वीं योजना के तहत उच्च शिक्षा के योजनागत आवंटन को 4700 करोड रुपये से बढ़ाकर 47000 करोड रुपये कर दिया, ऐसे में राज्य सरकारों को भी उच्च शिक्षा के लिए आवंटन बढ़ाना चाहिए, यह उनका दायित्व बनता है, राजस्थान सरकार को भी ऐसा करना चाहिए।

प्रो़ सुखदेव यहां सुखाड़िया स्मारक व्याख्यान दे रहे थे। उन्होंने कहा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के पास धन की कमी नहीं है लेकिन इस मामले में विश्वविद्यालयों को प्रस्ताव लेकर आगे आना चाहिए। राज्य सरकारों को यूजीसी योजना का लाभ उठाते हुए उसी के अनुरूप अनुदान बढ़ाना चाहिए।

उच्च शिक्षा की बढ़ती मांग का खाका पेश करते हुए उन्होंने कहा कि 1950 में हमारे पास 20 विश्वविद्यालय, 700 कालेज और करीब 20 हजार छात्र थे जिन्हें पढ़ाने के लिए 2000 अध्यापक थे, लेकिन आज 2010 में विश्वविद्यालयों की संख्या बढकर 500, कालेजों की संख्या 24 हजार और छात्रों की संख्या एक करोड़ 60 लाख तक पहुंच गई है जिन्हें पढ़ाने के लिए पांच लाख शिक्षक हैं।

उन्होंने कहा कि यह अच्छी वृद्धि है, लेकिन इसमें गौर करने वाली बात यह है कि 18 से 24 वर्ष की आयुवर्ग में उच्च शिक्षा तक पहुंचने वाले छात्रों की संख्या मात्र 10 प्रतिशत ही है जबकि विकसित देशों में 25 से 35 प्रतिशत तक छात्र उच्च शिक्षा पाते हैं। इस संख्या को बढ़ाना बड़ी चुनौती है।

थोरट ने कहा कि उच्च शिक्षा के मामले में क्षेत्रीय और अंतर सामाजिक विषमता के फासले को दूर करना दूसरी बड़ी चुनौती है। अनुसूचित जाति, जनजाति और ग्रामीण महिलाओं तथा दलित अभी भी उच्च शिक्षा पाने से काफी पीछे हैं। केवल 3 प्रतिशत ही उच्च शिक्षा तक पहुंच पाते हैं। 11वीं योजना में 1460 नए संस्थान खोले जाएंगे, इनमें सात आईआईएम, सात आईआईटी, 374 मॉडल कालेज और 30 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों पर काम प्रगति पर है।

थोरट का मानना है कि विश्वविद्यालय और कालेज में अध्यापकों की भर्ती पर रोक लगाना बड़ी गलती होगी और राज्य सरकारों को भविष्य इस स्थिति से निपटने के लिए आपात योजना तैयार करनी होगी।

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