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रैना के लिए बाहर बैठना पड़ सकता है युवी को

भारतीय मध्यक्रम में लंबे समय तक फैब फोर के दबदबे के कारण बाहर रहने वाले युवराज सिंह को पूर्व कप्तान सौरव गांगुली के संन्यास के बाद टेस्ट टीम का नियमित सदस्य बनने का मौका मिला लेकिन अब बाएं हाथ के एक...

रैना के लिए बाहर बैठना पड़ सकता है युवी को
एजेंसीSun, 01 Aug 2010 04:54 PM
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भारतीय मध्यक्रम में लंबे समय तक फैब फोर के दबदबे के कारण बाहर रहने वाले युवराज सिंह को पूर्व कप्तान सौरव गांगुली के संन्यास के बाद टेस्ट टीम का नियमित सदस्य बनने का मौका मिला लेकिन अब बाएं हाथ के एक अन्य बल्लेबाज सुरेश रैना के कारण उन्हें फिर से बाहर बैठना पड़ सकता है।

यह भी संयोग है कि पिछले कुछ वर्षों से टेस्ट टीम में इस जगह के लिए बायें हाथ के बल्लेबाजों के बीच ही स्वस्थ प्रतिद्वंद्विता चलती रही। गांगुली जब टीम में थे तो युवराज को उनके स्थान का मुख्य दावेदार माना जाता था। बाएं हाथ के धुरंधर गांगुली ने जब संन्यास लिया तो चयनकर्ताओं को उनके स्थान पर बायें हाथ के ही बल्लेबाज युवराज का चयन करने में कोई माथापच्ची नहीं करनी पड़ी।

लेकिन अब न सिर्फ चयनकर्ता बल्कि भारतीय टीम प्रबंधन भी श्रीलंका के खिलाफ तीन अगस्त से शुरू होने वाले तीसरे और अंतिम टेस्ट मैच की टीम को लेकर असंमजस में है। युवराज सिंह अस्वस्थ होने के कारण दूसरे टेस्ट मैच में नहीं खेल पाए जिसमें रैना को टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया और 120 रन की जाबांज पारी खेलकर इस मौके को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

युवराज अब फिट हैं और वह दूसरे टेस्ट मैच के पांचवें दिन कुछ समय के लिए क्षेत्ररक्षण के लिए भी उतरे थे लेकिन उनके लिए फिलहाल अंतिम एकादश में जगह नहीं दिख रही है। टीम प्रबंधन रैना को बाहर बिठाकर गलत संदेश नहीं देना चाहता है जबकि टीम इंडिया की मजबूत त्रिमूर्ति राहुल द्रविड़, सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण अब भी टीम के अहम अंग हैं।

भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से जब दूसरे टेस्ट मैच के बाद पूछा गया था कि तीसरे मैच में टीम का संयोजन क्या होगा तो उन्होंने सीधे शब्दों में जवाब दिया था, अभी से मैं इसका खुलासा क्यों करूं। इसकी जानकारी आपको मैच के पहले दिन साढ़े नौ बजे ही चलेगी।
 
टीम प्रबंधन युवराज के स्थान पर रैना को ही बनाए रखने की वकालत इसलिए भी कर रहा है क्योंकि उत्तर प्रदेश के इस युवा बल्लेबाज ने पिछले एक साल में एकदिवसीय क्रिकेट में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया जबकि युवराज टेस्ट ही नहीं वनडे में भी अपेक्षाओं पर पूरी तरह खरे नहीं उतरे।

रैना ने पिछले एक साल में 33 वनडे की 26 पारियों में 41.05 की औसत से 821 रन बनाये जिसमें एक शतक और पांच अर्धशतक शामिल हैं। उन्होंने लगातार अच्छी फार्म बनाए रखी जिससे वह टेस्ट टीम में जगह बनाने में सफल रहे।

दूसरी तरफ, युवराज ने टेस्ट मैचों में ढाई साल से भी अधिक समय से शतक नहीं लगाया है। उन्होंने अंतिम शतक दिसंबर 2007 में पाकिस्तान के खिलाफ बेंगलूर में जमाया था। इसके बाद 22 पारियों में उनके नाम पर केवल छह अर्धशतक दर्ज हैं। पिछले एक साल में युवराज ने छह टेस्ट मैच खेले जिसमें वह 36 रन प्रति पारी की औसत से ही रन बना पाए। श्रीलंका के खिलाफ गाले में पहले टेस्ट मैच में 52 रन बनाने के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ा जबकि दूसरी पारी में वह केवल पांच रन बना पाए।

यदि वनडे की बात करें तो युवराज ने पिछले साल सितंबर से जो 14 मैच खेले उनमें केवल 27.25 की औसत से ही रन बनाए। पिछले आठ मैच में तो वह 19.14 की औसत से 134 रन ही बना पाए जिसमें 74 रन की एक पारी भी शामिल है। इसी वजह से उन्हें एशिया कप की टीम से बाहर किया गया लेकिन अब उन्होंने वनडे टीम में वापसी कर ली है।

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