कई तरह के खेल और खामियां हैं राशन वितरण में
गरीबों के राशन वितरण में कई खेल और खामियां हैं। विभाग इसे जानता भी है। सचिवालय से लेकर जनवितरण प्रणाली के दुकानदार तक इसे समझते हैं। पर सरकार के स्तर पर कोई भी इस हाथ नहीं डालना चाहता। कारण इसमें हर...
गरीबों के राशन वितरण में कई खेल और खामियां हैं। विभाग इसे जानता भी है। सचिवालय से लेकर जनवितरण प्रणाली के दुकानदार तक इसे समझते हैं। पर सरकार के स्तर पर कोई भी इस हाथ नहीं डालना चाहता। कारण इसमें हर किसी के लिए बंधी कमीशन की राशि है। इसके पीछे गरीबों के बीच बंटनेवाले राशन की कीमत का कम होना है। इसे सीधे कालाबाजार के माध्यम से फ्लॉवर मिल और खुले बाजार में पहुंचा दिया जाता है। अन्नपूर्णा के लाभुकों को प्रति माह 10 किलो मुफ्त चावल और बीपीएल परिवारों को हर माह 35 किलो अनाज देने का प्रावधान है। बीपीएल परिवार को गेहूं 4.62 रुपये और चावल 6.61 रुपये प्रति किलो देना है। इसी तरह अंत्योदय के तहत दो रुपये गेहूं और तीन रुपये किलो चावल मिलता है।ड्ढr उठाव के साथ ही कालाबाजार पहुंच जाता है राशन : विभाग के सूत्रों का कहना है कि एफसीआइ गोदाम से राशन 24 घंटे के भीतर एसएफसी के गोदाम तक पहुंचाना है। इसकी फैक्स से जिला को सूचना उसी समय देनी है। लेकिन एफसीआइ गोदाम से राशन का उठाव होते ही यह कालाबाजार पहुंच जाता है। इस व्यवस्था में गड़बड़ी का कारण प्रखंड से लेकर जनवितरण प्रणाली के दुकान स्तर तक पूर्व में बनी निगरानी कमेटियों का भंग होना है।ड्ढr फर्ाी राशन कार्डो से बढ़ी परशानी : इसके अलावा कार्डधारियों के निरक्षर होने से राशन कार्ड पर दुकानदार एक की जगह तीन महीने के उठाव को दर्ज कर देता है। परिवहन दर में समानता और कमीशन का न्यूनतम दर भी कालाबाजारी के कारण हैं। साथ ही फर्ाी राशन कार्ड ने भी व्यवस्था को चोट पहुंचायी है। वार्ड और पंचायत स्तर पर कैंप लगाकर यह त्रुटि दूर की जा सकती है। कालाबाजारी ध्वस्त और गलत लाभुकों का पर्दाफाश कर ही व्यवस्था सुधारी जा सकती है। जसा कि बिहार सरकार ने कैंप के माध्यम से कूपन बांट कर किया है। ं