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इस बार ओलंपिक पदक जीतूंगी पापा : साइना

इस साल मिली कामयाबी को अप्रत्याशित बताते हुए भारतीय बैड़मिंटन स्टार साइना नेहवाल ने कहा कि नंबर वन का ताज अब उनसे दूर नहीं लेकिन उनका असल लक्ष्य ओलंपिक पदक जीतकर अपने पापा का सपना पूरा करने का...

इस बार ओलंपिक पदक जीतूंगी पापा : साइना
एजेंसीThu, 01 Jul 2010 01:22 PM
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इस साल मिली कामयाबी को अप्रत्याशित बताते हुए भारतीय बैड़मिंटन स्टार साइना नेहवाल ने कहा कि नंबर वन का ताज अब उनसे दूर नहीं लेकिन उनका असल लक्ष्य ओलंपिक पदक जीतकर अपने पापा का सपना पूरा करने का है।

साइना ने कहा कि मेरे पापा मुझे डाक्टर बनाना चाहते थे लेकिन मेरी रूचि बैड़मिंटन में थी। उन्होंने कहा कि जो भी करो, उसमें अपना शत प्रतिशत दो। वह मुझे ओलंपिक पदक विजेता के रूप में देखना चाहते हैं लेकिन पिछली बार मैं चूक गई। इस बार मेरा वादा है कि पदक जीतने की पूरी कोशिश करूंगी।
    
बीजिंग ओलंपिक 2008 में साइना क्वार्टर फाइनल तक पहुंचकर सुर्खियों में आई थी। इस साल नंबर वन रैंकिंग हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित करने वाली साइना ने कहा कि लगातार मिली सफलता ने उन्हें नए लक्ष्य तय करने के लिए मजबूर किया है।
    
उन्होंने कहा कि मैंने इस साल के लिए शीर्ष पांच में पहुंचने का लक्ष्य रखा था लेकिन मुझे अप्रत्याशित सफलता मिलती गई। नंबर वन का सिंहासन अब दूर नहीं है। कोशिश करूंगी कि इस साल के अंत तक वहां पहुंच जाउं।
      
इस साल अंतरराष्ट्रीय खिताबों की हैट्रिक बनाने वाली साइना ने इंडियन ओपन ग्रां प्री, सिंगापुर ओपन और इंडोनेशिया ओपन सुपर सीरिज जीती है। अब उसकी नज़रें अगस्त में पेरिस में होने वाली विश्व चैम्पियनशिप, अक्टूबर में दिल्ली में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों और उसके बाद चीन में होने वाले एशियाई खेलों पर हैं।

साइना ने कहा कि ये तीनों बड़े टूर्नामेंट हैं जिनमें पदक जीतना मेरा लक्ष्य होगा। इसके लिए मैं काफी मेहनत कर रही हूं। उसने कामयाबी का श्रेय अपने माता पिता और कोच पुलेला गोपीचंद को देते हुए कहा कि चैम्पियन बनना आसान नहीं होता। मेरे माता पिता ने काफी त्याग किया है और गोपी सर ने मेरे साथ मैदान पर पसीना बहाया है।
    
हैदराबाद की इस खिलाड़ी ने यहां भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में कहा कि लगातार तीन खिताब जीतना आसान नहीं होता। रोज़ मैच और रोज़ अपना शत प्रतिशत देना काफी मुश्किल काम था। मैंने सुबह साढ़े सात से रात नौ बजे तक अभ्यास किया है।
    
उसने कहा कि मेरे पिता ने कर्जा लेकर मुझे विदेश खेलने भेजा। खेल से जुड़ी मेरी सारी ज़रूरतें पूरी की। कामयाबी हासिल करने के बाद भी मैं यह भूल नहीं सकती कि मेरी शुरूआत उनकी कितनी कुर्बानियों के साथ हुई।
    
साइना ने कहा कि वह लगातार मिल रही मीडिया तवज्जो से विचलित हुए बिना अपने लक्ष्य की ओर एकाग्र बने रहना चाहती है। उसने कहा कि पूरे देश ने मेरी सफलता को हाथों हाथ लिया है। मीडिया में काफी तवज्जो मिली है लेकिन मैंने इससे प्रभावित हुए बिना अपने लक्ष्य पर फोकस बनाए रखा है क्योंकि अभी तो शुरूआत हुई है।

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