..और जब मनटूटिया का मन टूटा
नवटोली की मनटूटिया देवी का मन सचमुच टूट गया था। इस टूटे मन के साथ मंगलवार की रात जब वह मुख्यमंत्री के सामने मंच पर चढ़ी तो अफसरों का पानी ही उतर गया। नंगे पांव व फटी लुगरी पहनी मनटूटिया देवी ने...
नवटोली की मनटूटिया देवी का मन सचमुच टूट गया था। इस टूटे मन के साथ मंगलवार की रात जब वह मुख्यमंत्री के सामने मंच पर चढ़ी तो अफसरों का पानी ही उतर गया। नंगे पांव व फटी लुगरी पहनी मनटूटिया देवी ने जिन्दगी में पहली बार माइक पकड़ा। और इसके बाद तो उसके भीतर का भय भाग गया। कल तक दारोगा तक को देखकर डर जाने वाली मनटूटिया ने बड़े-बड़े हाकिमों के सामने साफ-साफ कहा- ‘साहब लोग न तो घर-घरारी दिए हैं और न ही उसे अंत्योदय का अनाज मिल रहा है। खाली तीन लीटर मिट्टी का तेल दिया है।ड्ढr ड्ढr तेल पीकर जीएंगे क्या?’ मनटूटिया की इस हिम्मत पर सभी भौंचक थे। दरअसल इस गांव में अपने रात्रि विश्राम के दौरान हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री ने आम लोगों से कहा कि जिसे सरकार के बार में जो भी कहना हो वह नि:संकोच कहे। मनटूटिया दौड़ी हुई मंच पर आई। उसकी बात सुनते ही मंच पर न केवल बीडीओ और डीएम बल्कि खाद्य आपूर्ति विभाग के सचिव त्रिपुरारि शरण की भी पेशी हुई। मनटूटिया देवी इस उम्मीद के साथ मंच से उतरी कि इस बार उसे अंत्योदय का अनाज भी मिलेगा और इंदिरा आवास भी। झोंझी परोल गांव की शांति देवी को तो मिट्टी का तेल भी नहीं मिला था। उसने मुख्यमंत्री से सीधा सवाल किया-‘गरीब अन्हार में रहेगा क्या?’ एक महिला ने कहा कि पति की मौत के बाद वह भीख मांग रही है। लेकिन उसके लिए कोई कुछ नहीं करता है।1े आन्दोलनकारी चुनचुन मिश्रा ने बताया कि पुलिस ने उन्हें धक्का देकर भगाना चाहा। उन्होंने उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को याद दिलाया कि वे मीसा के तहत बंदी रहे हैं। मुख्यमंत्री ने उन्हें दिलासा दिया- ‘मोदीजी आपलोगों के सम्मान के लिए बहुत कुछ करने जा रहे हैं।’