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कहीं राज न रह जाएं हत्याओं के ‘राज’

अपराध पर काफी काबू पा लेने का दावा करने वाली पटना पुलिस के लिए हत्या और अपहरण के कई मामले अभी भी चुनौती बने हुए हैं। वर्ष 2006 से अबतक घटे ऐसे कई मामले हैं जिसके तह तक पहुंचना पटना पुलिस के बूते के...

 कहीं राज न रह जाएं हत्याओं के ‘राज’
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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अपराध पर काफी काबू पा लेने का दावा करने वाली पटना पुलिस के लिए हत्या और अपहरण के कई मामले अभी भी चुनौती बने हुए हैं। वर्ष 2006 से अबतक घटे ऐसे कई मामले हैं जिसके तह तक पहुंचना पटना पुलिस के बूते के बाहर की चीज हो गई लगती है। वर्ष-06 में लोहा व्यवसायी सूरा नायक और उसके बाद विकास अग्रवाल की हुई हत्या के राज पुलिस फाइलों में ही दफन हो गए। 30 अपैल-07 को कदमकुआं थाना क्षेत्र में व्यवसायी सुनील लोहानी की हत्या की गुत्थी पुलिस अबतक नहीं सुलझा सकी है। पुन: इसी वर्ष 10 अगस्त को डीएवी के छात्र आकाश का दिनदहाड़े अपहरण कर लिया गया जिसका कोई सुराग आज तक नहीं मिल सका। सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की घोषणा की थी, जो आज तक सिर्फ घोषणा ही रही।ड्ढr ड्ढr 30 दिसम्बर-07 को ही पीरबहोर थाना क्षेत्र के कुतुबुद्दीन लेन निवासी दो सहोदर भाईयों राजा और शाहिद की उनके कमरे में ही निर्मम हत्या कर दी गई । बुद्ध मार्ग स्थित बुद्धा प्लाजा में रेडीमेड कपड़े की दुकान चलाने वाले और मुलत: बिहारशरीफ निवासी इन दोनों भाईयों के हत्यारों की परछाईं तक पुलिस नहीं पहुंच सकी। चांदमारी रोड निवासी और टीपीएस कालेज के छात्र दीपक झा का अपहरण के बाद हत्या कर हत्यारे उसकी नयी मोटरसाइकिल लेकर चलते बने पर उन हत्यारों की शिनाख्त भी आजतक नहीं हो सकी।ड्ढr ड्ढr सचिवालय थाना अंतर्गत हज भवन के पीछे प्रमोद कुमार की हत्या कर उसकी मोटरसाइकिल लूट ली गई। पेशे से पशु चिकित्सक और गर्दनीबाग थाना क्षेत्र अंतर्गत बाल्मीचक का निवासी प्रमोद के हत्यारों का भी आजतक कोई सुराग नहीं मिला। इसके अलावा भी बीते वर्ष हत्या के दो मामलों के अनसुलझे रहने और हत्यारों का पुलिस की पकड़ से बाहर होना यह जाहिर करता है कि पटना पुलिस जिस तेजी से हत्या के हाई प्रोफाइल मामले को सुलझा लेती है वहीं साधारण व्यक्ितयों की हुई हत्या में दिलचस्पी नहीं दिखाती। इस बार में सीनियर एसपी अमित कुमार कहते हैं कि यह सच है किकुछ मामलों में पुलिस को सफलता नहीं मिली पर हम निराश नहीं हैं।

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