पेयजल प्राप्त करना मौलिक अधिकार : सुप्रीम कोर्ट
पेयजल के लिए भले ही सिर फुटौवल हो रही हो या उसेबोतलों में बंद कर बेचा जा रहा हो लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पेयजल प्राप्त करना संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत जीवन का मौलिक अधिकार है। यह टिप्पणी...
पेयजल के लिए भले ही सिर फुटौवल हो रही हो या उसेबोतलों में बंद कर बेचा जा रहा हो लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पेयजल प्राप्त करना संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत जीवन का मौलिक अधिकार है। यह टिप्पणी करते हुए सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि पानी की निर्बाध उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए तुरंत जाने-माने वैज्ञानिकों की एक टीम बनाई जाए जो गहन शोध कर बताएंगे कि सस्ता पेयजल कैसे सुलभ किया जाए। जस्टिस अल्तसम कबीर और मरकडेय काटाू की खंडपीठ ने उड़िसा और आंध्र प्रदेश के बीच वंसधारा नदी जल के बंटवार को लेकर हुए विवाद का निपटारा करते हुए यह टिप्पणी की। अपने फैसले में जस्टिस काटाू ने कहा कि पेयजल संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों में से एक है। इसके बगैर जीवन संभव नहीं है। केंद्र सरकार का कर्तव्य है कि नागरिकों के इस अधिकार की रक्षा कर। इसके लिए केंद्र सरकार प्रख्यात वैज्ञानिकों की एक टीम बनाए जो देश में पानी की कमी दूर करने के लिए तुरंत युद्ध स्तर पर शोध कर। सरकार से उन्होंने आग्रह किया इन वैज्ञानिकों को सभी आर्थिक, तकनीकी और प्रशासनिक मदद मुहैया करवाई जाएं ताकि वे पर्याप्त शोध कर सकें। उन्होंने कहा कि हमार देश में अच्छे वैज्ञानिकों की कमी नही है अमेरिका की सिलीकॉन वैली भारतीय वैज्ञानिकों के दम पर ही चल रही है।ं