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सड़ रहा है गरीबों का चावल

राज्य के कई ऐसे परिवार हैं, जो दो वक्त की रोटी के लिए तरसते हैं। बिना खाना खाये रात गुजार देते हैं। वहीं दूसरी ओर 10 हाार टन चावल राजधानी के एक गोदाम में सड़ रहा है। इससे सरकार को 60 लाख 10 हाार...

 सड़ रहा है गरीबों का चावल
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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राज्य के कई ऐसे परिवार हैं, जो दो वक्त की रोटी के लिए तरसते हैं। बिना खाना खाये रात गुजार देते हैं। वहीं दूसरी ओर 10 हाार टन चावल राजधानी के एक गोदाम में सड़ रहा है। इससे सरकार को 60 लाख 10 हाार रुपये का नुकसान हो रहा है। बावजूद इसे देखनेवाला कोई नहीं है। राज्य खाद्य निगम के कडरू स्थित गोदाम में वर्ष 2006 से एसजीआरवाइ योजना का चावल डंप है। चावल में घुन लग गया है। कई बोर तो डस्ट में तब्दील हो गये हैं। इन्हें हटाने के लिए राज्य सरकार को बार-बार पत्र लिखा जा रहा है, परंतु सरकार का इस ओर ध्यान ही नहीं जा रहा है।ड्ढr बिहार राज्य खाद्य निगम के प्रबंध निदेशक डॉ राणा अवधेश निगम का पदभार ग्रहण के साथ ही रांची पहुंचे। उन्होंेने राज्य के ग्रामीण विकास सचिव एसके सतपथी से मुलाकात कर एसजीआरवाइ योजना के डंप चावल को हटाने का आग्रह किया था। बावजूद इस चावल को आज तक नहीं हटाया गया। इस चावल को लेकर बार-बार सवाल उठे रहे हैं, परंतु न तो इस चावल को नीलाम किया जा रहा है और न ही बर्बाद। सुप्रीम कोर्ट से झारखंड पहुंची बाधवा की टीम भी चावल को देख भौंचक थी। उन्होंने भी उक्त चावल को गोदाम को हटाने का निर्देश दिया था। मालूम हो कि एसजीआरवाइ योजना के तहत काम करनेवाले मजदूरों को कार्यदिवस का 70 फीसदी रुपये और 30 फीसदी चावल दिया जाता था, परंतु केंद्रीय योजना झारखंड में दम तोड़ रही है। झारखंड सरकार की जवाबदेही है: एमडीड्ढr बिहार राज्य खाद्य निगम के एमडी डॉ राणा अवधेश का कहना है कि यह झारखंड सरकार की जबावदेही है। चावल को एसजीआरवाइ के बदले किसी अन्य मद (बीपीएल, अंत्योदय या अन्नपूर्णा) के लाभुकों के बीच बांटा जा सकता था, परंतु ऐसा नहीं किया गया। अब तो निगम के गोदाम में रखी गयी अन्य खाद्य सामग्री भी खराब हो रही है।

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