अयोध्या पर बहस, पर झगड़े से दोनों चिंतित
ांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेसजनों से ‘भगवान राम के नाम पर लोगों को गुमराह कर रही’ भाजपा का पर्दाफाश करने और मनमोहन सरकार की उपलब्धियों को आधार बनाकर नया जनादेश मांगने का आह्वान किया है।...
ांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेसजनों से ‘भगवान राम के नाम पर लोगों को गुमराह कर रही’ भाजपा का पर्दाफाश करने और मनमोहन सरकार की उपलब्धियों को आधार बनाकर नया जनादेश मांगने का आह्वान किया है। उन्होंने रविवार को यहां पार्टी के ब्लॉक और जिला अध्यक्षों के सम्मेलन में भाजपा द्वारा राम मंदिर मुद्दा उठाने का सीधे उल्लेख तो नहीं किया लेकिन कहा कि वह धार्मिक आधार पर लोगों को इकट्ठा करने के साथ ही भगवान राम के नाम पर लोगों को बार-बार गुमराह करती है। भाजपा पर आतंकवाद पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि एनडीए शासन में करगिल तथा कंधार मामले और संसद भवन, अक्षरधाम, जम्मू के रघुनाथ मंदिर आदि स्थानों पर आतंकदी हमलों के समय विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने सरकार का पूरा साथ दिया लेकिन यूपीए सरकार के जमाने में भाजपा ने ऐसा नहीं किया। उसने धार्मिक भावनाएं भड॥काईं, संसद के कामकाज में बाधा डाली तथा कई महत्वपूर्ण कानूनों के पारित कराने में देरी कराई। ऐसी पार्टी आतंकवाद के खिलाफ ‘कारगर औजार’ नहीं बन सकती। इधर, भले ही कांग्रेस और भाजपा चुनाव के लिए कमर कस रही हों, दोनों ही पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व में अंदरूनी झगड़े को लेकर संशय है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दिल्ली में और भाजपा के पीएम-इन-वेटिंग लालकृष्ण आडवाणी के नागपुर में रविवार को दिए भाषणों से तो यही लगता है। सोनिया ने नेताओं और कार्यकर्ताओं से आपसी गुटबाजी छोड॥कर एकजुटता और अनुशासन के साथ चुनाव मैदान में उतरने का आग्रह किया और कहा कि कई बार विरोधियों के कारण नहीं, अंदरूनी लड़ाई और फूट के कारण भी पार्टी हारी है। उन्होंने कहा कि चुनाव में तालमेल पार्टी की मजबूती की कीमत पर हर्गिज नहीं किए जाएंगे। कांग्रेस अध्यक्ष ने दिन भर चले सम्मेलन में कार्यकर्ताओं की शिकायतें ध्यान से सुनीं और अपने समापन भाषण में कहा कि टिकट वितरण के समय यह ध्यान में रखा जाएगा कि नेताओं के कोटा और उनके संरक्षण को बढ़ावा न मिले। उधर, नागपुर में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यपरिषद बैठक में आडवाणी ने अपने भाषण में कहा कि हम सभी जानते हैं कि अपनों के ही गोल से हम राजस्थान और दिल्ली में हार। इस प्रवृत्ति के पीछे जो लोग हैं, उन्हें समझना चाहिए कि उन्होंने पार्टी को कुछ हद तक नुकसान पहुंचाया होगा लेकिन अपना नुकसान ज्यादा किया है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति नहीं बदली तो हाथ से आया मौका चला जाएगा।