गर्भपात की अवधि बढ़ाने पर केंद्र को नोटिस
मेडिकल तकनीक में क्रांतिकारी परिवर्तन होने के बावजूद भारत में 20 हफ्ते के गर्भ को ही कानूनी रूप से गिराया जा सकता है जबकि विदेश में यह अवधि 26 से लेकर 40 हफ्ते तक है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में...
मेडिकल तकनीक में क्रांतिकारी परिवर्तन होने के बावजूद भारत में 20 हफ्ते के गर्भ को ही कानूनी रूप से गिराया जा सकता है जबकि विदेश में यह अवधि 26 से लेकर 40 हफ्ते तक है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है क्यों न कानून में परिवर्तन कर गर्भपात की अवधि बढ़ाई जाए। याचिका मुंबई के एक गायनोकालोजिस्ट निखिल डी दातार ने दायर की है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस केाी बालाकृष्णन और पी सथाशिवम की खंडपीठ ने इस मामले में नोटिस जरूर जारी किया लेकिन कहा कि कानून बनाने का काम संसद का है। याचिकाकर्ता की ओर से बहस करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कालिन गांसाल्विस ने कहा कि गर्भपात कानून 1में बना था तब से लेकर अब तक इस दिश में काफी तरक्की हो चुकी है। अब 40 हफ्ते के गर्भ को भी सुरक्षित रूप से गिराया जा सकता है। गर्भपात कानून, 1े अनुसार 20 हफ्ते के गर्भ को तभी गिराया जा सकता है वह मां के लिए खतरा बन गया हो।