बदले मौसम से गोमती में मरी मछलियाँ
बदलते मौसम का कहर गोमती के जलीय जीवन के लिए खतरा बन गया है। ताजा घटना पिपराघाट में मछलियों के मरने की है। दो दिन में 10 कुन्तल से अधिक मछलियाँ मर गई हैं। संबंधित विभाग जिम्मेदारी लेने के बजाय एक-दूसर...
बदलते मौसम का कहर गोमती के जलीय जीवन के लिए खतरा बन गया है। ताजा घटना पिपराघाट में मछलियों के मरने की है। दो दिन में 10 कुन्तल से अधिक मछलियाँ मर गई हैं। संबंधित विभाग जिम्मेदारी लेने के बजाय एक-दूसर पर आरोप मढ़ रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मछलियों की मौत की वजह नदी में पानी की कमी बता रहा है तो जल संस्थान पानी की कमी को सिर से खारिा कर रहा है।ड्ढr गोमती डाउन स्ट्रीम पर स्थित पिपराघाट पर लगभग 10 कुन्तल मछलियाँ मर गईं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुख्य पर्यावरण अभियंता डॉ. डीसी गुप्ता के अनुसार मौसम बदलने के साथ नदी में पानी घट गया। लेबल बनाए रखने के लिए बैराज के सभी फाटक बंद कर दिए गए। इससे डाउन स्ट्रीम में पिपराघाट पर पानी की कमी हो गई। सीवेज साफ नहीं हो सका। ऑक्सीजन की मात्रा घट गई, जो मछलियों की मौत का कारण बनी। सर्दी में ऑक्सीजन की मात्रा सही रहती है। पर गर्मी में घटने लगती है। पिछले मंगलवार को बैराज के निकट डीओ की मात्रा पाँच मिलीग्राम से अधिक थी। गऊघाट इनटेक पर आठ मिलीग्राम से अधिक डीओ है। अचानक इसमें कमी होने लगी। जल संस्थान को नदी में पानी की उचित मात्रा बनाए रखने के लिए पत्र भेजा गया है। वहीं जल संस्थान के सचिव रघुवेन्द्र कुमार कहते हैं कि गोमती में 346.7 एमएलडी पानी है, जो नदी का जल स्तर बनाए रखने के लिए काफी है। ऐसे में पानी की कमी का सवाल नहीं उठता।