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बेमौसमी आम खाने से हो सकता है कैंसर

यदि आप बिना मौसम रसीले आम या मैंगो का मजा लेने की सोच रहे हैं तो सावधान हो जाइए क्योंकि यह खतरनाक रसायन कैल्सियम कार्बाइड से कृत्रिम रूप से पकाया हुआ हो सकता है जिससे कैंसर, नपुंसकता और सांस तथा...

बेमौसमी आम खाने से हो सकता है कैंसर
एजेंसीThu, 08 Apr 2010 12:38 PM
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यदि आप बिना मौसम रसीले आम या मैंगो का मजा लेने की सोच रहे हैं तो सावधान हो जाइए क्योंकि यह खतरनाक रसायन कैल्सियम कार्बाइड से कृत्रिम रूप से पकाया हुआ हो सकता है जिससे कैंसर, नपुंसकता और सांस तथा तंत्रिका तंत्र संबंधी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
 
केरल विश्वविद्यालय की वैज्ञानिक इंदिरा देवी ने एक शोध के बाद इस तथ्य की पुष्टि की कार्बाइड पर प्रतिबंध होने के बावजूद देश में फलों को कृत्रिम रूप से पकाने के लिए इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है। इस रसायन से कैंसर और सांस एवं तंत्रिका तंत्र और त्वचा की बीमारीयों के अलावा प्रजनन क्षमता पर भी बुरा असर पड़ता है आम जनता इसके खतरों से नावाकिफ है। इसलिए बाजार में कार्बाइड से पके हुए बेमौसमी आम या केले बिक रहे हैं। उन्होंने बताया कि दक्षिणी राज्यों में आम नवंबर,दिसंबर तक बडे़ हो जाते हैं। इन्हें समय से पहले ही पकाने के लिए इस खतरनाक रसायन का इस्तेमाल किया जाता है।

खेती और खाद्य पदार्थो में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशक और रसायनों को लेकर देश में कोई नियामक व्यवस्था न होने पर अफसोस जताते हुए उन्होंने कहा कि मानव स्वास्थ्य पर इनके असर का पता लगाने के लिए कोई प्रणाली नहीं है। उन्होंने कहा कि हो सकता है इसका दुष्प्रभाव लम्बे समय के बाद सामने आए इसलिए इसे साबित करना भी मुश्किल होता है। इसके अलावा यदि इनके सेवन से गंभीर बीमारी का पता लग भी जाय तो इसके लिए किसी की जवाबदेही नहीं है।

राज्यों में अलग अलग मानदंड होने से इन पर प्रतिबंध भी बेअसर हो जाता है। मसलन इंडोसल्फाइड केरल में प्रतिबंधित है लेकिन तमिलनाडु में इस पर कोई रोक नहीं है। इसलिए पडोसी राज्य से यह आसानी से उपलब्ध हो जाता है। उन्होंने कहा कि भारत समेत विकासशील देशों में खतरनाक कीटनाशकों और रसायनों का अवैज्ञानिक तरीके से बहुतायत इस्तेमाल हो रहा है जो मनुष्य और पर्यावरण दोनो के लिए खतरनाक है। ऐसे में आर्गेनिक खेती की बात करना बेमानी है क्योंकि मिट्टी हो या सिंचाई का पानी सब कुछ प्रदूषित हो चुका है।
 
इंदिरा ने आम जनता के स्वास्थ्य के साथ साथ पर्यावरण एवं कृषि की रक्षा के लिए कीटनाशकों और रसायनों के सुरक्षित और संयमित इस्तेमाल की जरूरत पर जोर देते हुए सरकार से इस बारे में पुख्ता नियमन प्रणाली विकसित करने की मांग की है।

 

 

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