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खुद छूट ली लेकिन गरीबों को नहीं दी

शहर के 44 स्कूलों ने आवास विकास परिषद से सस्ती जमीन खरीदी है। आवास विकास अब उनसे जानना चाह रहा है कि जिस मकसद से उन्हें सस्ती जमीन दी गई थी, उसे वह पूरा कर रहे हैं या नहीं? परिषद ने पहले स्कूलों से...

खुद छूट ली लेकिन गरीबों को नहीं दी
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 07 Apr 2010 08:37 PM
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शहर के 44 स्कूलों ने आवास विकास परिषद से सस्ती जमीन खरीदी है। आवास विकास अब उनसे जानना चाह रहा है कि जिस मकसद से उन्हें सस्ती जमीन दी गई थी, उसे वह पूरा कर रहे हैं या नहीं? परिषद ने पहले स्कूलों से सीधे पूछा था कि शर्तों के मुताबिक 10 प्रतिशत गरीब बच्चों को आरक्षण और फीस में 50 फीसदी छूट दी जा रही है या नहीं? जिसका कोई जवाब नहीं आया। अब जिलाधिकारी और शिक्षा विभाग के जरिए स्कूलों से जवाब माँगा गया है। जिला विद्यालय निरीक्षक ने भी स्कूलों को चिट्ठी जारी कर यह जानकारी माँगी है, लेकिन अब तक किसी भी स्कूल का जवाब नहीं आया।

स्कूलों की मनमानी पर लगाम कसने के लिए सरकार ने पिछले साल अप्रैल में उनकी फीस तय करने के लिए शासनादेश जारी किया था। उसके बाद जून में इन स्कूलों को दी गई सस्ती जमीन के एवज में गरीब बच्चों को पढ़ाने का शासनादेश जारी किया। उसी क्रम में आवास विकास परिषद ने इन स्कूलों से सीधे कई बार जानकारी माँगी कि वह गरीब बच्चों को सुविधाएँ दे रहे हैं कि नहीं। आवास आयुक्त की ओर से जारी इस पत्र में कहा गया है कि 44 स्कूलों ने आवास विकास परिषद से सस्ती जमीन खरीदी है। यह रियायत इसलिए दी गई थी कि स्कूल 10 प्रतिशत गरीब बच्चों को पढ़ाएँगे और उन्हें फीस में 50 प्रतिशत की छूट देंगे। इस पत्र में जिलाधिकारी से अनुरोध किया गया है कि शिक्षा विभाग के सम्बन्धित अधिकारियों को इस बारे में ब्योरा उपलब्ध कराने के निर्देश दें। साथ ही शासन के इस निर्णय को लागू करवाएँ।

आवास विकास परिषद ने यह जानकारी 31 मार्च तक माँगी थी। इन सभी स्कूलों की लिस्ट भी आवास विकास परिषद ने दी है। उसकी एक प्रति जिला विद्यालय निरीक्षक को भी भेजी गई थी। जिला विद्यालय निरीक्षक ने स्कूलों को चिट्ठी भेजकर गरीब बच्चों को पढ़ाने के बाबत जानकारी माँगी। तय तारीख निकल गई लेकिन किसी भी स्कूल ने जानकारी नहीं दी। इस बारे में जिला विद्यालय निरीक्षक ज्ञानेन्द्र प्रताप सिंह भदौरिया कहते हैं कि हमने स्कूलों से जानकारी माँगी है। आवास आयुक्त दीपक कुमार का कहना है कि शासनादेश पिछले साल ही हुआ है तब से हम जानकारी माँग रहे हैं और इसका पालन कराने की कोशिश कर रहे हैं। जानकारी न देने की स्थिति में कार्रवाई के बाबत उनका कहना है कि शासन के नियम के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

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