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भारत के राजनैतिक प्रतिष्ठान लश्कर के निशाने पर: अमेरिकी थिंक-टैंक

भारत के परिवहन तथा आर्थिक बुनियादी ढांचे और राजनीतिक प्रतिष्ठानों के लश्कर-ए-तैयबा के निशाने पर होने की चेतावनी देते हुए अमेरिकी रक्षा विभाग के एक थिंक टैंक ने कहा है कि आतंकी संगठन का अब भी आईएसआई...

भारत के राजनैतिक प्रतिष्ठान लश्कर के निशाने पर: अमेरिकी थिंक-टैंक
एजेंसीTue, 06 Apr 2010 06:43 PM
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भारत के परिवहन तथा आर्थिक बुनियादी ढांचे और राजनीतिक प्रतिष्ठानों के लश्कर-ए-तैयबा के निशाने पर होने की चेतावनी देते हुए अमेरिकी रक्षा विभाग के एक थिंक टैंक ने कहा है कि आतंकी संगठन का अब भी आईएसआई से वित्तपोषण हो रहा है और कराची स्थित दाउद इब्राहीम की डी-कंपनी उसे मदद दे रही है।

अमेरिकी आर्मी वार कॉलेज के स्ट्रैटेजिक स्टडीज इंस्टीटयूट ने कहा कि अल-कायदा से करीबी संबंध होने के बावजूद लश्कर दक्षिण एशिया में अलग आतंकवादी संगठन बना रहेगा और उसे अब भी पाकिस्तान की सुरक्षा और खुफिया निकायों तथा अन्य से कुछ हद तक सहायता मिल रही है।

उसने कहा कि इससे लश्कर को आगे भविष्य में पाकिस्तान के सुरक्षित ठिकानों से भारत में मुंबई जैसे आतंकवादी हमलों की योजना बनाने में मदद मिलेगी। साथ ही वह इंडियन मुजाहिदीन को निर्देश एवं सहायता देने लायक हो जाएगी।

रेयन क्लार्क द्वारा लिखी गई 117 पृष्ठों की रिपोर्ट में पहली बार इस संगठन का विस्तृत विश्लेषण किया गया है। इसमें कहा गया है कि चिंताजनक तथ्य यह है कि भारत में लश्कर की गतिविधियों का उन्नयन हुआ है और उसने देश भर में काम करना शुरू कर दिया है। रिपोर्ट में आशंका व्यक्त की गई है कि वे परिवहन, आर्थिक बुनियादी ढांचे और राजनीतिक प्रतिष्ठानों को निशाना बना सकते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रतिबंधित संगठन होने के बावजूद लश्कर का आईएसआई से वित्तपोषण होता है। इसके अलावा भारतीय मुस्लिमों सहित घरेलू और विदेशी हमदर्दों से भी दान मिलता है हालांकि पाकिस्तान का दावा है कि उसकी खुफिया एजेंसी अब लश्कर को सहायता नहीं देती। रिपोर्ट के अनुसार कराची स्थित डी-कंपनी के अवैध हवाला नेटवर्क से भी उसे मदद मिलती है। डी-कंपनी पाकिस्तान में शरण के लिए आईएसआई पर निर्भर है और उसके लश्कर से संबंध हैं।

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