रक्षा उत्पादन में एफडीआई सीमा बढ़ाने पर विचार: शर्मा
सरकार ने सोमवार को कहा कि वह रक्षा उत्पादन क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई सीमा बढ़ाने के संबंध में नफा़-नुकसान का आकलन कर रही है। यहां एसोचैम के एक कार्यक्रम में यह पुष्टि करते हुए...
सरकार ने सोमवार को कहा कि वह रक्षा उत्पादन क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई सीमा बढ़ाने के संबंध में नफा़-नुकसान का आकलन कर रही है।
यहां एसोचैम के एक कार्यक्रम में यह पुष्टि करते हुए कि इस संबंध में चर्चा चल रही है वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनन्द शर्मा ने कहा कि सरकार दीर्घकाल में यह सुनिश्चित करने की संभावना तलाश रही है कि भारत के पास प्रौद्योगिकी हो और वह रक्षा के लिए विनिर्माण का स्थल बन सके।
उन्होंने कहा कि रक्षा प्रतिष्ठानों की संवेदनशीलता को ध्यान में रखकर कोई निर्णय किया जाएगा।
रक्षा मंत्रालय एवं वित्त मंत्रालय सहित विभिन्न मंत्रालय, औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग और योजना आयोग इस मुददे पर चर्चा कर रहे हैं।
मौजूदा समय में रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में 26 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है और घरेलू निजी कंपनियां रक्षा क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई की मांग कर रही हैं।
लार्सन एंड टुब्रो, टाटा, महिन्द्रा और पुंज लायड जैसे प्रमुख उद्योग घराने पहले ही रक्षा से जुड़े विभिन्न कारोबार में सक्रिय हैं।
उल्लेखनीय है कि देश में रक्षा विनिर्माण से जुड़ी ज्यादातर गतिविधियों में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां सक्रिय हैं, सरकार अपनी सेनाओं के लिए 30,000 करोड़ एपये से 35,000 करोड़ रुपये मूल्य के रक्षा उपकरणों का आयात करती है।