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दस वर्ष का रोड मैप तैयार करेगा यूपीआरटीओयू

उप्र राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय (यूपीआरटीओयू) प्रदेश में दूरस्थ शिक्षा को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए एक अनूठी पहल करने जा रहा है। दस वर्षों में दूरस्थ शिक्षा की क्या जरूरतें होंगी और उसे...

दस वर्ष का रोड मैप तैयार करेगा यूपीआरटीओयू
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 05 Apr 2010 05:35 PM
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उप्र राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय (यूपीआरटीओयू) प्रदेश में दूरस्थ शिक्षा को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए एक अनूठी पहल करने जा रहा है। दस वर्षों में दूरस्थ शिक्षा की क्या जरूरतें होंगी और उसे पूरा करने में विश्वविद्यालय को क्या-क्या करना होगा, इस पर मंथन कर एक रोड मैप तैयार करने की योजना तैयार की गई है। खास यह है कि भविष्य का खाका खींचने के लिए इस विश्वविद्यालय से जुड़े हर व्यक्ति का विचार संग्रह किया जाएगा। छह और सात अप्रैल को विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति, छात्र, पुरा छात्र, शिक्षक, कर्मचारी, अध्ययन केंद्र के समन्वयक तथा प्रशासनिक अफसर मिल बैठकर चर्चा करेंगे।

16 तथा 17 अप्रैल को फिर इसी विषय को लेकर वृहद चर्चा होगी। इसमें इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, दूरस्थ शिक्षा परिषद के विशेषज्ञ तथा कई और शिक्षाविद् शामिल होंगे। इस चार दिनी मंथन में जो विचार आएँगे, उन्हें संकलित कर अगले दस वर्षों की वृहद कार्ययोजना तैयार की जाएगी। प्रदेश में उच्च शिक्षा की दर को बढ़ाकर गाँव-गाँव तक ज्ञान संपदा विकसित करने के लिए दूरस्थ शिक्षा एक बड़ा माध्यम है। जाहिर है कि इसमें प्रदेश के एक मात्र मुक्त विश्वविद्यालय की भूमिका अहम है। इसी जिम्मेदारी का अहसास कर कुलपति प्रो. नागेश्वर राव ने यह योजना तैयार की है। दस वर्ष का रोड मैप तैयार करने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि विश्वविद्यालय को आगे के लिए एक रास्ता मिल जाएगा। भविष्य में कुलपति चाहे जो भी हो, उसे पता रहेगा कि आगे क्या करना है। चार दिनी चर्चा के मुख्य तौर पर दो बिंदु हैं। इसके जरिए यह जानने की कोशिश की जाएगी कि शिक्षा, तकनीकी, विज्ञान, प्रबंधन, मानवीकी के क्षेत्र में आगे के दस वर्षों में क्या नया करना होगा। पाठ्यक्रमों को आवश्यकता के अनुसार किस प्रकार से बनाना जाए ताकि शिक्षा सिर्फ ज्ञान अजर्न ही नहीं रोजगार का माध्यम भी बन सके।

कोट
‘हमारी कोशिश इस मुक्त विश्वविद्यालय को दूरस्थ शिक्षा का सुलभ माध्यम बनाने की है। सबकी सहभागिता से हम दस वर्षों की दिशा तय करेंगे। पूरी उम्मीद है कि इस प्रयास से अच्छे नतीजे सामने आएँगे और आगे अन्य विश्वविद्यालय भी इस दिशा में सोचेंगे। हम कुछ विदेशी विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों से भी अभिमत माँग रहे हैं। इन्हें एसएमएस और ई-मेल भेजा गया है। इस काम के लिए एक स्पेशल ग्रुप भी बनाया गया है।’
-प्रो. नागेश्वर राव, कुलपति, यूपीआरटीओयू

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