फोटो गैलरी

Hindi Newsएचआईवी में महत्वपूर्ण प्रोटीन संरचना का पता लगा

एचआईवी में महत्वपूर्ण प्रोटीन संरचना का पता लगा

एडस का टीका बनाने में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत वैज्ञानिकों ने एचआईवी के उपसमूह की सतह पर पाये जाने वाले एक महत्वपूर्ण प्रोटीन जीपी 120 की संरचना का पता लगाया है।     इसके...

एचआईवी में महत्वपूर्ण प्रोटीन संरचना का पता लगा
एजेंसीSat, 03 Apr 2010 07:01 PM
ऐप पर पढ़ें

एडस का टीका बनाने में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत वैज्ञानिकों ने एचआईवी के उपसमूह की सतह पर पाये जाने वाले एक महत्वपूर्ण प्रोटीन जीपी 120 की संरचना का पता लगाया है।
   
इसके अलावा, कैलीफोर्निया इंस्टीटयूट आफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने प्रदर्शित किया कि जीपी 120 का एक विशिष्ट एंटीबाडी न केवल प्रोटीन के साथ संपर्क करता है बल्कि उस सीडी 4 रिसेप्टर के साथ भी संपर्क करता है जिसका इस्तेमाल जीपी 120 शरीर की टी कोशिकाओं में प्रवेश के लिए करता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जीपी 120 की बनावट कैसी है, यह त्रिआयामी समझ मौलिक वैज्ञानिक बढ़त से कहीं ज्यादा है।

प्रमुख वैज्ञानिक रॉन दिस्किन ने कहा कि एचआईवी के लिए टीका बनाने के प्रयास लगातार किये जा रहे हैं और इनमें से ज्यादातर प्रयास जीपी 120 पर आधारित हैं। संरचना के बारे में अधिक जानकारी हासिल करने से बेहतर टीके का डिजाइन तैयार करने में मदद मिलेगी। टीम ने विशिष्ट तौर पर जीपी 120 पर गौर किया जिसे क्लेड सी एचआईवी-1 कहा जाता है।

इस बात को एचआईवी के पारिवारिक इतिहास के माध्यम से कुछ इस तरह समझाया जा सकता है: जो अधिकांश लोग एचआईवी से ग्रस्त होते हैं और जिन्हें बाद में एडस हो जाता है, वे एचआईवी-1 परिवार के किसी सदस्य से संक्रमित होते हैं। एचआईवी-1 विभिन्न वर्गों में बंटा हुआ है, अधिकांश एडस संबंधित विषाणुओं की किस्में समूह एम से जुड़ी होती है। इन समूहों को और छोटे उप समूहों में बांटा जाता है जिन्हें क्लेड कहा जाता है।
   
क्लेड बी समूह एम एचआईवी-1 की एक किस्म है जो अक्सर अमेरिका और पश्चिमी यूरोप में पायी जाती है। इस समय इस किस्म पर ही सबसे ज्यादा अध्ययन किया गया है। क्लेड सी वह किस्म है जिसने अफ्रीका और एशिया को संक्रमित किया है। यह वह किस्म है जो संभवत: दुनियाभर में सर्वाधिक लोगों को संक्रमित करती है।
   
क्लेड सी जीपी 120 की संरचना को उजागर करने के लिए और यह निर्धारित करने के लिए कि क्या इससे जुड़ी समानताओं की परिकल्पनाएं वास्तव में सच हैं, कालटैक के दल को प्रोटीन को क्रिस्टलीकत करने की जरूरत थी। यह कोई आसान काम नहीं था। डिस्किन का कहना है कि यह बात सामने आयी कि यह प्रोटीन क्रिस्टलीकरण के लिए पर्याप्त रूप से कड़ा नहीं है।

इसलिए वैज्ञानिकों ने जीपी 120 मोनोमर, एक सीडी 4 रिसेप्टर और एक एचवाईवी रोधी एंडीबॉडी 21 सी से युक्त अणुओं के मिश्रण को तैयार किया। होवार्ड हयूग्स मेडीकल इंस्टीटयूट के जांचकर्ता और कालटैक दल की एक सदस्य तथा कालटेक में मैक्स डेलब्रक प्रोफेसर आफ बायोलॉजी पामेला जोर्कमैन ने कहा कि हमारी संरचना का सर्वाधिक दिलचस्प पहलू एंटीबॉडी और सीडी 4 के बीच अप्रत्याशित संपर्क है।

सीडी 4 से बंधन का अर्थ है कि एचआईवी रोधी एंटीबॉडी की इस श्रेणी में स्वत: प्रतिक्रियात्मक गुण होते हैं जो इस संबंध में अनेक दिलचस्प सवाल उठाते हैं कि एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को एचआईवी रोधी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया किस प्रकार प्रभावित करती है। इन नतीजों को नेचर स्ट्रक्चरल एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी में प्रकाशित किया गया है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें