घरेलू काम करने वाली महिलाओं को ‘कामगार’ बनाने की माँग
दूसरों के घरों में साफ-सफाई और अन्य व्यवस्थाओं को कायम करने वाली महिलाएँ शोषण का शिकार हैं। इनके वेतन का कोई सुचारू ढ़ाँचा नहीं है। छुट्टियाँ इनको मिलती नहीं और जीवन की सुरक्षा का भी कोई ठिकाना...
दूसरों के घरों में साफ-सफाई और अन्य व्यवस्थाओं को कायम करने वाली महिलाएँ शोषण का शिकार हैं। इनके वेतन का कोई सुचारू ढ़ाँचा नहीं है। छुट्टियाँ इनको मिलती नहीं और जीवन की सुरक्षा का भी कोई ठिकाना नहीं। ऐसे में बुधवार को अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) ने घरेलु काम करने वाली महिलाओं को ‘कामगार’ बनाने की माँग सरकार से की।
समिति की जिला सचिव मधु गर्ग ने विधानसभा मार्ग स्थित कार्यालय पर हुए घरेलु काम करने वाली महिलाओं के सम्मेलन में बताया कि उन्होंने शहर में 13 बस्तियों में ग्यारह कमेटियों का गठन कर 900 महिलाओं को सदस्य बनाया है। सम्मेलन में आईं मकबूलगंज की शांति, हैवलक रोड की पिंकी, एवनपुर की तारा देवी और इस्माइलगंज की शीला ने घरों में काम करने के दौरान होने वाली समस्याओं के बारे में बताया।
इन महिलाओं का कहना था कि तमाम बुनियादी सुविधाओं के अभावों में जीना इनकी मजबूरी बना है। मुख्य अतिथि एडवा मुंबई की अध्यक्ष और राष्ट्रीय सचिव किरन मोघे ने बताया कि संगठन घरेलू काम करने वाली महिलाओं की लड़ाई लड़ रहा है।
उन्होंने प्रदेश सरकार से इनके लिए विभिन्न योजनाओं को लागू कर कल्याणकारी बोर्ड बनाने की माँग की। किरन मोघे ने बताया कि आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में इनको न्यूनतम वेतन देने के लिए कानूनी प्रावधान है। महाराष्ट्र विधानसभा में भी घरेलू कामगार कल्याण बिल पास हुआ है।