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सदन की गरिमा के साथ खिलवाड़ करते हैं पार्षद

हर नागरिक की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने क्षेत्र के विकास के बारे में जागरूक हो। पार्षदों को तो विकास के लिए हर सम्भव प्रयास करना चाहिए। यदि वह नगर निगम सदन की बैठकों में ही नहीं जाएँगे तो...

सदन की गरिमा के साथ खिलवाड़ करते हैं पार्षद
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 11 Mar 2010 08:06 PM
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हर नागरिक की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने क्षेत्र के विकास के बारे में जागरूक हो। पार्षदों को तो विकास के लिए हर सम्भव प्रयास करना चाहिए। यदि वह नगर निगम सदन की बैठकों में ही नहीं जाएँगे तो क्षेत्र की समस्याओं का क्या होगा। सदन की बैठकों में न जाने वाले पार्षदों के खिलाफ विधिक कार्रवाई होनी चाहिए। यह कहना है कुँअर ज्योति प्रसाद वार्ड और गोमतीनगर वार्ड की जनता का। यहाँ के पार्षद भी सदन की बैठकों में नियमित नहीं जाते।

वार्ड-कुँअर ज्योति प्रसाद प्रथम

पार्षद-सुशीला दीक्षित

सदन से गैरहाजिरी-आठ बार


अशोक कहते हैं कि सदन की बैठकों में जाना चाहिए। नहीं जाते हैं तो ऐसे जनप्रतिनिधियों के खिलाफ सदन को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। जनप्रतिनिधि ऐसा करेंगे तो लोगों का लोकतंत्र से विश्वास उठ जाएगा। सदन में न जाने की बात पर वरुण ने काफी नाराजगी व्यक्त की। उनका कहना है कि पार्षदों को सदन में जरूर जाना चाहिए। नहीं जाएँगे तो विकास के मुद्दे धरे के धरे रह जाएँगे।

सुनील यादव भी कहते हैं कि कार्रवाई होनी चाहिए। यदि कार्रवाई नहीं हुई तो अन्य पार्षद भी इसी राह पर चलेंगे। क्षेत्र का विकास कराना है तो उन्हें सदन में जाना होगा।भानु प्रताप सिंह का मानना है कि भले ही क्षेत्र का विकास हुआ हो लेकिन पार्षदों का सदन की बैठकों में न जाना साबित करता है कि वह अपनी जनता के प्रति संवेदनशील नहीं हैं।

वार्ड-गोमती नगर

पार्षद-अवधेश चन्द्र मिश्र

सदन से गैरहाजिरी-तीन बार

अजय राय कहते हैं कि ऐसे पार्षदों को पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। उनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए। वह सदन में ही नहीं जाएँगे तो क्षेत्र का विकास कैसे होगा। पीएस जायसवाल मानते हैं कि सदन में न जाना क्षेत्र की जनता के साथ-साथ सदन की गरिमा साथ भी खिलवाड़ कर रहे है। वह जनता के साथ धोखा कर रहे हैं।

राजेश कहते हैं कि ऐसे पार्षदों के खिलाफ सदन को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। जो पार्षद सदन की बैठकों में नहीं जा सकते वह क्षेत्र का विकास क्या करेंग। उन्हें खुद त्याग पत्र दे देना चाहिए। संजय गोयल कहते हैं कि ऐसे पार्षदों के खिलाफ प्रशासन कार्रवाई न करे तो जनता को आवाज उठानी चाहिए। उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वह सदन जाएँ और क्षेत्र की तमाम समस्याओं को उठाएँ।

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