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वायु विकारों को न्योता देते हैं ऐसे घर

उत्तर-पश्चिम दिशा वायु का क्षेत्र है। वास्तु में इस दिशा को औसत समझा जाता है, किंतु वायु प्रधान दिशा होने के कारण उत्तर-पश्चिम मुखी भवनों में निवास करने वाले परिवार वायु विकारों से ग्रस्त देखे जा...

वायु विकारों को न्योता देते हैं ऐसे घर
Wed, 10 Oct 2012 11:31 AM
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उत्तर-पश्चिम दिशा वायु का क्षेत्र है। वास्तु में इस दिशा को औसत समझा जाता है, किंतु वायु प्रधान दिशा होने के कारण उत्तर-पश्चिम मुखी भवनों में निवास करने वाले परिवार वायु विकारों से ग्रस्त देखे जा सकते हैं। भवन उत्तर-पश्चिम टी प्वाइंट घर स्थित है, तो वायु क्षेत्र के शुभाशुभ प्रभावों में स्वत: वृद्धि हो जाती है।

वास्तु शास्त्र में उत्तर-पश्चिम दिशा को वायव्य कोण भी कहा जाता है। इस दिशा में अगर कोई वास्तु दोष है तो उसका सर्वाधिक प्रतिकूल प्रभाव घर के युवा सदस्यों घर पड़ता है। ठीक उसी प्रकार, जिस प्रकार दक्षिण-पश्चिम दिशा में वास्तु दोष का प्रभाव परिवार के प्रमुख सदस्य यानी मुखिया घर पड़ता है।

उत्तर-पश्चिम में वास्तु दोष के प्रभाव से परिवार के युवा सदस्यों का स्वास्थ्य खराब रहेगा। लड़की के विवाह में रुकावट आ सकती है। घर के सदस्य वायु विकार, पित्त-कफ, बादी आदि बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। इन वास्तु दोषों का निदान पिरामिड स्थापना से संभव है। वास्तु विशेषज्ञ के निर्देशन में पिरामिड स्थापित कर उत्तर-पश्चिम टी प्वाइंट भवन के नकारात्मक प्रभावों से बच सकते हैं।

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