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समुद्र में बढे़गी भारत की ताकत, नौसेना को आज मिलेगा ‘वरुणास्त्र’ तारपीडो

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने उच्च क्षमता का अत्याधुनिक तारपीडो ‘वरुणास्त्र’ विकसित किया है। यह समुद्र के भीतर पानी में 40 समुद्री मील प्रति घंटे की रफ्तार से दुश्मन की...

समुद्र में बढे़गी भारत की ताकत, नौसेना को आज मिलेगा ‘वरुणास्त्र’ तारपीडो
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 29 Jun 2016 10:27 AM
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रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने उच्च क्षमता का अत्याधुनिक तारपीडो ‘वरुणास्त्र’ विकसित किया है। यह समुद्र के भीतर पानी में 40 समुद्री मील प्रति घंटे की रफ्तार से दुश्मन की पनडुब्बी या पोत पर हमला कर उसे ध्वस्त कर देगा। 

रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर बुधवार को इसे नौसेना को सौंपने जा रहे हैं। मिसाइल, तारपीडो का निर्माण भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल) ने किया है। 

बीडीएल के एक उच्च अधिकारी ने बताया कि पनडुब्बियों के अलावा इसे कमोर्ता श्रेणी जैसे जंगी पोतों के में भी फिट किया जा सकता है। यह पनडुब्बी के साथ-साथ जंगी पोतों को भी ध्वस्त कर सकता है। वरुणास्त्र के निर्माण में डीआरडीओ को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओसन टेक्नोलॉजी ने भी मदद की है। हाल में बंगाल की खाड़ी में इसके सफल परीक्षण हुए हैं। लड़ाकू विमान के बाद स्वदेशी हथियारों के निर्माण की दिशा में यह देश की एक और बड़ी उपलब्धि है।

डीआरडीओ की प्रयोगशाला नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल लेब्रोटरी ने इसे विकसित किया है। हाल में इस तारपीडो के समुद्री परीक्षण किए गए थे, जो सफल रहे। परीक्षण के दौरान समुद्र के भीतर यह सैकड़ों किलोमीटर दूर तक मार करने में सफल रहा है। हालांकि, सरकार की तरफ से इसकी मारक क्षमता के बारे में खुलासा नहीं किया है। 

परीक्षण सफल होने के बाद इसे नौसेना में शामिल करने का निर्णय लिया गया है। नौसेना में इसे दिल्ली श्रेणी, कोलकाता श्रेणी, कमोर्ता श्रेणी जैसे विध्वंस जंगी पोतों में स्थापित किया जाएगा। इसे जंगी पोतों या पनडुब्बी से ही दागा जा सकता है।
 
डीआरडीओ के सूत्रों के अनुसार वरुणास्त्र मोटे तौर पर हैवीवेट एडवांस तारपीडो है। हालांकि, डीआरडीओ ने ताल आदि तारपीडो पहले भी बनाए हैं, पर वे लाइटवेट हैं और छोटे लक्ष्यों को भेदने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। उन्हें हेलीकॉप्टर से भी दागा जा सकता है।

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