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महोबा में दल बदलुओं से चुनावी संशय गहराया

बुंदेलखंड के महोबा में 23 फरवरी के चुनाव में कई दल बदलुओं के अपनी राजनीतिक किस्मत आजमाने के बाद अब यह अनुमान लगाये जाने लगा कि कौन विजयी बनकर...

महोबा में दल बदलुओं से चुनावी संशय गहराया
Thu, 01 Mar 2012 07:59 PM
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बुंदेलखंड के महोबा में 23 फरवरी के चुनाव में कई दल बदलुओं के अपनी राजनीतिक किस्मत आजमाने के बाद अब यह अनुमान लगाये जाने लगा कि कौन विजयी बनकर उभरेगा।

58 फीसदी मतदान और जातीय समीकरणों पर विरोधाभासी रिपोर्टों से संशय गहराता जा रहा है। कांग्रेस ने अपने पूर्व विधायक अरीमर्दान सिंह उर्फ नानाजी को चुनाव में उतारा था जो करीब आधा दर्जन दलों में पाला बदल चुके हैं।
भाजपा उम्मीदवार भी अपने राजनीतिक कैरियर में कभी भाजपा तो कभी बसपा का दामन थाम चुके हैं। ऐसी ही स्थिति समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रत्याशी सिद्धगोपाल साहू और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रत्याशी राजनारायण बुधोलिया के साथ है।
     
बुंदेलखंड के अन्य हिस्सों की भांति महोबा में उम्मीदवारों के प्रति मतदाताओं की नाराजगी मतदान के दिन सामने आयी। हमीरपुर जिले के छह मतदान केंद्रों पर शून्य मतदान हुआ है। महोबा निर्वाचन क्षेत्र इसी जिले के अंतर्गत आता है।

वर्ष 2006 में पंचायती राज मंत्रालय ने महोबा को देश से 250 अति पिछड़े जिलों में एक बताया था। यह जिला फिलहाल उत्तर प्रदेश के उन 34 जिलों में एक है जिन्हें पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि कार्यक्रम के तहत धन मिल रहा है।
     
काकरबाई में इंद्रजीत सिंह ने कहा कि पांच साल तक यह इलाका सूखा से जूझता रहा। पिछले साल ही थोड़ी बारिश हुई। यहां रोड़ी पत्थर और पहाडिम्यों के अलावा कुछ नहीं है। यहां हम जो जीवन जीते हैं वह बड़ा कठिन जीवन है।

जब सिंह से पूछा गया कि कौन सा दल जीतेगा, तब उन्होंने कहा, मतगणना का इंतजार कीजिए। महोबा बाजार के शिवा रविदास कहते हैं, पहले हमारे वोट एक दल को जाते थे। हम बहुत पहले तय कर लेते थे कि किसे वोट देना है। लेकिन आज लोग बंटे हुए हैं।

मुस्लिम बहुल हथीखाना में बेरोजगारी बहुत बड़ी समस्या है। इस गांव में बड़ी संख्या में रंगरेज हैं। गांधीनगर के राजीव शुक्ला कहते हैं, यह (बेरोजगारी) एक मुददा बन गया है। इस विधान सभा सीट पर 45000 ठाकुर, 300000 से अधिक ब्राहम्ण, 30000 से अधिक कुशवाहा, करीब 25000 मुसलमान वोट हैं। 40 फीसदी मतदाता दलित हैं।
     
मौदाहा निर्वाचन क्षेत्र को खत्म किये जाने से इस निर्वाचन क्षेत्र में ब्राहम्ण वर्चस्व पर गंभीर असर पड़ा है क्योंकि ठाकुर बहुल दो दर्जन गांव इस सीट के हिस्से बन गए हैं।

कांग्रेस उम्मीदार नानाजी जनता दल, सपा, बसपा और नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी समेत आधा दर्जन दलों से जुड़े और अलग हुए। ठाकुर समुदाय के वरिष्ठ नेता की सबसे बड़ी चिंता अपनी पार्टी से ही है क्योंकि पार्टी की स्थानीय इकाई उन्हें बाहरी समक्षती है। जिला कांग्रेस अध्यक्ष मनोज तिवार भी पार्टी टिकट के दावेदार थे। नानाजी जब 1995 में इस सीट से सपा विधायक थे तब उन्होंने महोबा जिला बनाने में अहम भूमिका निभाई थी।

सपा उम्मीदवार साहू वर्ष 2002 में सपा सरकार में मंत्री बने लेकिन 2007 का चुनाव उन्होंने नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी से लड़ाथा। उसके बाद वह 2009 में हमीरपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस में शामिल हो गए। इस बार वह महोबा विधानसभा सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। भाजपा उम्मीदवार बादशाह सिंह वर्ष 2007 में मौदाहा सीट से चुनाव जीतने के बाद बसपा सरकार में मंत्री बने थे। उन्होंने उससे पहले भाजपा के टिकट पर तीन बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था। भाजपा में वापसी के बाद उन्हें उमा भारती फैक्टर वं अपनी बाहुबली छवि पर भरोसा है। उनका ठाकुरों में अच्छी पैठ है। बसपा उम्मीदवार बुधोलिया पहले समाजवादी पार्टी के सांसद थे। वह चार बार मौदाहा सीट से हार गए थे।

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